पटना:
" आज बहुत खुश है चुनिया
पहली बार उसे हरिया का प्यार मिला
जो सुहाग रात में भी नहीं मिल पाया था
सुहाग रात का वह खौफ सोचकर भी सिहर उठती है
नई नवेली चुनिया के सामने
डगमगाता और मुंह में महुए का वास लिए
खाट तक आते आते
तीन चार बार गिर चुका था हरिया"
बिलकुल अपने समाज और परिवेश की बात करनेवाले कवि हृषीकेश पाठक की ये पंक्तियाँ है । शराबबंदी की पृष्ठभूमि में जिसे पढ कर सुनाया हिंदी प्रगति समिति, बिहार सरकार के अध्यक्ष वरिष्ठ कवि सत्यनारायण ने। सत्यनारायण ने हृषीकेश पाठक की काव्य पुस्तक का लोकार्पण किया। इस पुस्तक का लोकार्पण साहित्यकार विशुद्धानंद के जन्मदिन पर आयोजित किया गया था। विशुद्धानंद बिहार के चर्चित रचनाकार थे जिन्होंने कई फिल्मों व रेडियो के लिए गीत लिखा। उनके लिखे गीत बिहार सरकार के कई अभियानों के लिए लिखे गए और काफी लोकप्रिय भी हुए। पाठक की कविता सुनाकर श्री सत्यनारायण ने कविता के सम्बन्ध में अपनी राय व्यक्त की और कहा कि "कविता मनुष्यता का पर्याय है और हमेशा मनुष्य के पक्ष में खड़ी रहती है।"
इस अवसर पर बिहार हिंदी साहित्य सम्मलेन के अध्यक्ष डॉ. अनिल सुलभ ने कहा " जब हम लोकजीवन में व्याप्त पीड़ा, कष्ट और कठिनाइयों की पहचान करते हैं और उसके प्रतिकार में मंगलभाव से खड़े होते हैं तो वही श्रेष्ठ कविता है। " इस सारस्वत समारोह की अध्यक्षता बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के प्रधानमंत्री डॉ शिववंश पाण्डेय ने की।
कार्यक्रम का शुभारंभ, दीप प्रज्वलित कर, प्रवीर के द्वारा सरस्वती वंदना के साथ हुआ, तदुपरांत स्व. विशुद्धानंद की दो कविताओं का सस्वर पाठ उनके बडे पुत्र प्रणव कुमार के द्वारा किया गया। हृषीकेश पाठक द्वारा पुस्तक परिचय एवं कविता अँखुआते शूल का पाठ किया गया। इस समारोह में, स्व. विशुद्धानंद की स्मृति में बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन एवं अनंदाश्रम प्रकाशन द्वारा, वार्षिक पुरस्कार देने की घोषणा की गई। अंत मे साहित्यकार राजकुमार प्रेमी ने धन्यवाद ज्ञापन किया।