पटना । चर्चित गीतकार व लेखक विशुद्धानंद की पहली पुण्यतिथि पटना में मनाई गई। इसमें विशुद्धानंद को जानने वाले कई रचनाकारों ने उनके व्यक्तित्व व कॄतित्व पर विमर्श किया। अवर अभियंता भवन, अदालतगंज,में एक स्मृति सभा का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता भगवती प्रसाद द्विवेदी ने की और संचालन किया साहित्यकार हृषीकेश पाठक ने। मुख्य अतिथि थे शिववंश पाण्डेय।
सबसे पहले विशुद्धानंद के पुत्र प्रवीर ने उनकी हिंदी, भोजपुरी, अंगिका, मगही और बज्जिका रचनाओं का सस्वर पाठ किया। शिववंश पांडेय ने उनकी पुस्तक “पाटलिपुत्र की हवाएं” को साहित्यिक और ऐतिहासिक दोनो दृष्टि से अतिश्रेष्ठ कृति बताया. योगेन्द्र प्रसाद सिन्हा ने कहा कि वे उनसे अपनी मातृभाषा अंगिका में ही बातें किया करते थे. डॉ. शिवनारायण ने उनकी पुस्तक “सिहरती धूप” की भी चर्चा की और “पाटलीपुत्र की हवाएँ” को विलक्षण कृति बताते हुए कहा ” उन्हें बेहद अफसोस है और वे अपना अपराध स्वीकार करते हैं कि विशुद्धानंद जैसे महान लेखक को सिर्फ नजदीकी सम्बंध होने के कारण उनके जीवन काल में वो महत्व नहीं दिया जिसके वो हकदार थे। जब उन्होंने उनकी मृत्यु के बाद उनकी पुस्तक को पढ़ा तो दंग रह गए कि पाटलिपुत्र के आमजन के इतिहास को इतनी गहराई और समग्रता से उन्होंने बताया है और वह भी साहित्यिक पुट के साथ। पढ़नेवाले को लगता ही नहीं कि वे इतिहास पढ़ रहे हैं।
इन वक्ताओं के बाद एक कवि गोष्ठी का आयोजन हुआ जिसमें युवा कवि/ कवयित्रियों के साथ-साथ स्थापित रचनाकारों ने भी भाग लिया. कवियों में संजय कुमार कुंदन, भावना शेखर, विजय प्रकाश, बाँके बिहारी, अनिल कुमार पंकज आदि भी शामिल थे.