बेगूसराय, दिनकर जयंती के अवसर पर 23 सितम्बर को कला, संस्कृति एवं युवा विभाग और जिला प्रशासन के साझा प्रयास से दिनकर भवन, बेगूसराय में विचार गोष्ठी एवं कविता-पाठ का आयोजन किया गया। दिनकर की धरती बेगूसराय में हुए इस आयोजन में विभिन्न जगहों से आये विद्वानों, कवियों, साहित्यकारों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि के रूप में श्रम संसाधन मंत्री बिहार सरकार विजय कुमार सिन्हा ने किया। स्वागत भाषण करते हुए जिलाधिकारी राहुल कुमार ने कहा " दिनकर जी की वजह से बेगूसराय का नाम पूरे देश में ख्यात है। दिनकर अंधियारी में सूर्य की भाँति जीवन को रोशनी से भरने वाले कवि हैं।"
हिंदी के प्रसिद्ध आलोचक प्रो0 तरुण कुमार ने अपने संबोधन में कहा "दिनकर को राष्ट्रकवि इसलिए मानते हैं कि उनकी कविताओं की चिंता के केंद्र में राष्ट्र था। परन्तु वे राष्ट्र के रूप में केवल भौगोलिक भारत नहीं चाहते थे। उनका भारत आज का ‛आइडिया ऑफ इंडिया' नहीं था।उनकी कविताएँ अंधराष्ट्रवाद के बिल्कुल ख़िलाफ़ खड़ी हैं। वे ऐसा भारत चाहते थे जिसमें एक दूसरे के प्रति प्रेम और विश्वास हों।'
प्रसिद्ध आलोचक खगेन्द्र ठाकुर ने कहा " यद्यपि दिनकर ने किसी काव्य प्रवृति का प्रवर्तन नहीं किया परंतु वे बहुत बड़े कवि थे। कथाकार रामधारी सिंह दिवाकर के मुताबिक " दिनकर मूलतः क्रांतिकारी कवि हैं क्योंकि ब्रिटिश सरकार की नौकरी करते हुए भी वे ब्रिटिश सरकार के खिलाफ कविता लिखते रहे।" साहित्यिक पत्रिका" तद्भव' के सम्पादक अखिलेश ने कहा कि " उनकी कविताएँ युद्ध के बीच समय में रची गयी हैं, इसीलिए उनकी कविताओं में ओज के स्वर हैं।
दूसरे सत्र के रूप में काविता-पाठ का आयोजन किया गया। इसमें अरुण कमल, बद्री नारायण, रश्मि रेखा आदि ने काविता पाठ किया गया। बेगूसराय जनपद के श्रोता दिनकर सभा-भवन में दोनों सत्रों के समापन तक जमे रहे।