पटना, 13 सितंबर। पटना में नुक्कड़ काव्य पाठ की बहुत पुरानी परंपरा रही है । जयप्रकाश आंदोलन के नेतृत्व में चले छात्र आंदोलन में बड़े संख्या में कवि और लेखक सड़कों पर उतरे थे। बाबा नागार्जुन, फणीश्वर नाथ रेणु, सत्यनारायण, गोपी वल्लभ सहाय सरीखे दर्जनों कवि/लेखक डाकबंगला चौराहा पर कविताओं का पाठ किया करते। बाद के दिनों में जब भी कोई बड़ी घटना घटती कवि नुक्कड़ों पर उतर कर कविताओं का पाठ किया करते।
'जुटान' और ' क्रांतिकारी सांस्कृतिक संघ' द्वारा एक ऐसे ही नुक्कड़ काव्य पाठ का आयोजन बुद्ध स्मृति पार्क, स्टेशन के पास खुले आकाश में किया गया। इसमें बड़ी संख्या में आम लोगों ने भी हिस्सा लिया।
वारूणी ने प्रमोद यादव उर्फ अतिरंजन के साथ मिलकर महान तुर्की कवि नाजिम_हिकमत की अमेरिकी जनगायक पॉल रॉबसन पर लिखे गीत तो पेश किया:
वो हमारे गीत क्यों रोकना चाहते है
शिल्पी संग्रामी पाल राबसन |
हम अपनी आवाज उठा रहे है
वो नाराज क्यों वो नाराज क्यों
नीग्रो भाई हमारे पाल राबसन |
वो डरते है जिन्दगी से , वो डरते है मौत से ,
वो डरते है इतिहास से ,
वो डरते है , राबसन |
हमारे इन कदमो से डरते हैं
हमारी इन आँखों से डरते है
जनता की इस चेतना से डरते है राबसन
वो क्रान्ति के जय डमबरु से डरते है राबसन
शिल्पी संग्रामी पाल राबसन
नीग्रो भाई हमारे पाल राबसन
नुक्कड़ काव्य पाठ में कविता पढ़ने वालों में प्रमुख थे भिखारी ठाकुर पर सबसे पहले काम करने वाले कवि व विद्वान तैय्यब हुसैन पीड़ित , कवि रंजीत वर्मा, शायर संजय कुमार कुंदन, सुमन्त शरण आदि।
नुक्कड़ सभा में विज्ञान आंदोलन से जुड़े सुनील कुमार सिंह , केदार दास श्रम वसमाज अध्ययन संस्थान के अशोक कुमार सिन्हा, सामाजिक-राजनीति कार्यकर्ता सच्चिदानंद प्रभात, राधेश्याम, पी.यू.सी.एल के नागेश्वर, अभियान सांस्कृतिक मंच के विनीत राय , पूर्व विधायक एन .के नन्दा, सामाजिक कार्यकर्ता मणिलाल, 'तलाश ' की संपादक मीरा दत्त आदि।