धर्मस्थल: “धार्मिक संस्थान समानता के प्रतीक हैं, क्योंकि सर्वशक्तिमान ईश्वर के समक्ष कोई भी व्यक्ति बड़ा नहीं है. हमें धार्मिक संस्थानों में समानता के विचार को फिर से स्थापित करना चाहिए. मुझे उम्मीद है कि यह धर्मस्थल, जिसका नेतृत्व अपूर्व विद्वान व्यक्ति कर रहे हैं, समतावाद का उदाहरण बनेगा और हमें हमेशा वीआईपी संस्कृति को दूर करना चाहिए.” उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कर्नाटक के श्री क्षेत्र धर्मस्थल में द क्यू काम्प्लेक्स और ज्ञानदीप कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए यह बात कही. उन्होंने कहा, “वीआईपी संस्कृति एक विचलन है, समानता के नजरिए से देखा जाए तो यह एक अतिक्रमण है. समाज में इसका कोई स्थान नहीं होना चाहिए, धार्मिक स्थलों में तो बिल्कुल भी नहीं. वीआईपी दर्शन का विचार ही ईश्वर के विरुद्ध है. इसे समाप्त कर देना चाहिए.” धनखड़ ने कहा कि हमारे सभी रुख को एक विचार-राष्ट्र की भलाई-द्वारा दृढ़तापूर्वक निर्धारित और निर्मल किया जाना चाहिए. हमें सभी स्थितियों में राष्ट्र को सर्वोपरि रखने का प्रयास करना चाहिए. क्योंकि यह देश, मानवता के छठे हिस्से का घर है, यह पूरी दुनिया का तंत्रिका केंद्र, सांस्कृतिक केंद्र और आध्यात्मिक केंद्र है.”

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा, “राजनीति कटुता के लिए नहीं है. राजनेताओं की अलग-अलग विचारधाराएं होंगी. होनी भी चाहिए. भारत अपनी विविधता के लिए जाना जाता है, क्योंकि विविधता एकता में समाहित हो जाती है. लेकिन राजनीतिक कटुता क्यों होनी चाहिए? राजनीति का उद्देश्य केवल सत्ता नहीं होना चाहिए. सत्ता महत्वपूर्ण है. इसका उद्देश्य समाज की सेवा करना और राष्ट्र की सेवा करना होना चाहिए.” उपराष्ट्रपति ने कहा, “संवाद और अभिव्यक्ति, ये लोकतंत्र को परिभाषित करते हैं. अगर हमारी अभिव्यक्ति के अधिकार को सीमित किया जाता है, कम किया जाता है, तो व्यक्ति का सर्वश्रेष्ठ सामने नहीं आ सकता. लेकिन यदि हम केवल अभिव्यक्ति पर जोर देते हैं और संवाद में विश्वास नहीं करते हैं, यदि हम केवल अभिव्यक्ति में विश्वास करते हैं और मानते हैं कि हम ही सही हैं, तो हम मानवता के साथ, दूसरे व्यक्ति के साथ अन्याय कर रहे हैं. संवाद और अभिव्यक्ति को साथ-साथ चलना होगा. संवाद ही हमें दूसरे के दृष्टिकोण के महत्त्व का एहसास कराता है.” इस अवसर पर सांसद बृजेश चौटा, श्री क्षेत्र धर्मस्थल ग्रामीण विकास परियोजना के अध्यक्ष डी वीरेंद्र हेगड़े, ज्ञानविकास कार्यक्रम की अध्यक्ष हेमावती वी हेगड़े, डी सुरेंद्र कुमार, डी हर्षेंद्र कुमार और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे.