नई दिल्ली: साहित्य अकादेमी ने प्रख्यात मलयालम लेखक, विद्वान, निर्देशक और साहित्य अकादेमी के महत्तर सदस्य एमटी वासुदेवन नायर के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है. अकादेमी के सचिव द्वारा जारी शोक संदेश में कहा गया है कि बहुमुखी प्रतिभा के धनी और सिनेमा के क्षेत्र में अमिट छाप छोड़ने वाले ‘एमटी’, जैसा कि उन्हें स्नेहपूर्वक पुकारा जाता था, ने अपनी कालजयी कृतियों से कई पीढ़ियों के लेखकों को प्रभावित किया. स्वतंत्रता के बाद के भारतीय साहित्य के महानतम हस्ताक्षरों में से एक वासुदेवन नायर ने दशकों तक कई युवा लेखकों को खोजा और प्रोत्साहित किया. साहित्य अकादेमी हजारों साहित्य प्रेमियों के साथ उनके निधन पर शोक व्यक्त करती है और भारतीय साहित्य में उनके निःस्वार्थ और असाधारण योगदान को सादर नमन करती है. साहित्य अकादेमी के दिल्ली कार्यालय में आयोजित श्रद्धांजलि सभा के बाद अकादेमी के सभी कार्यालय उनके सम्मान में एक दिन के लिए बंद कर दिए.
ज्ञात हो कि सात दशकों के लंबे साहित्यिक करियर में वासुदेवन नायर ने प्रचुर लेखन किया और उनके अधिकांश उपन्यास और कहानी-संग्रह बेस्टसेलर रहे और आलोचकों द्वारा सराहे गए. उन्होंने मलयालम सिनेमा में पटकथा लेखक और निर्देशक के रूप में भी लंबे समय तक योगदान दिया और अपनी रचनात्मकता से इसे समृद्ध किया. उन्हें उनके उपन्यास कालम के लिए साहित्य अकादेमी पुरस्कार मिला, लेकिन रंडामूझम, जो महाभारत की कहानी को भीमसेन के दृष्टिकोण से पुनः प्रस्तुत करता है, को व्यापक रूप से उनकी उत्कृष्ट कृति माना जाता है. अपने गौरवशाली करियर में एमटी वासुदेवन नायर ने पद्म भूषण, साहित्य अकादेमी की महत्तर सदस्यता, साहित्य अकादेमी पुरस्कार और ज्ञानपीठ पुरस्कार सहित कई प्रतिष्ठित सम्मान और पुरस्कार प्राप्त किए.