नई दिल्ली: केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान आयोग के 20वें स्थापना दिवस को संबोधित किया. उन्होंने अल्पसंख्यकों के लिए भारतीय संविधान में निहित अधिकारों के महत्त्व पर जोर देते हुए कहा कि जब हमारा राष्ट्र संविधान अपनाने के 75वें वर्ष का जश्न मना रहा है, तब सभी को संविधान में शामिल बातों को जानना चाहिए. उन्होंने शिक्षा के माध्यम से सकारात्मक बदलाव लाने में अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों के लिए राष्ट्रीय आयोग की भूमिका पर भी प्रकाश डाला. प्रधान ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने हर वंचित नागरिक के लिए आवास, बैंक खाते, गैस सिलेंडर और मुफ्त राशन जैसी सुविधाएं सुनिश्चित की हैं. उन्होंने बताया कि सबका साथ, सबका विकास के मंत्र को अपनाकर ये लक्ष्य हासिल किए गए हैं. शिक्षा मंत्री ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को पूरी तरह लागू करने की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया.
शिक्षा मंत्री प्रधान ने अल्पसंख्यक संस्थानों से राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू करने में सक्रिय योगदान देने का आह्वान किया. उन्होंने कौशल विकास और अकादमिक बैंक क्रेडिट, एनसीआरएफ आदि जैसी पहलों के महत्त्व पर भी जोर दिया.
प्रधान ने 21वीं सदी की ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था में भारत के नेतृत्व की कल्पना की और दोहराया कि विकसित भारत का सपना जाति या धर्म से परे सभी भारतीयों के सामूहिक प्रयासों से ही साकार हो सकता है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत का समावेशी समाज वैश्विक चुनौतियों के समाधान के लिए प्रकाश स्तंभ के रूप में काम करेगा. उन्होंने अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान के लिए राष्ट्रीय आयोग के समर्पित प्रयासों की सराहना की तथा सभी के कल्याण के लिए सरकार की प्रतिबद्धता की पुनः पुष्टि की. इस अवसर पर राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा, प्रो डा फैजान मुस्तफा, डा इमाम उमेर अहमद इलियासी, उपाध्याय रवींद्र मुनि, डा भिक्खु धम्मपाल महा थेरो और आर्कबिशप राफी मंजालि भी उपस्थित थे.