गुवाहाटी: “विकसित राष्ट्र बनने का भारत का मार्ग वैज्ञानिक उन्नति और नवाचार के प्रति उसकी प्रतिबद्धता से गहराई से जुड़ा हुआ है.” केंद्रीय मंत्री डा जितेंद्र सिंह ने गुवाहाटी में भारत अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव के 10वें संस्करण का उद्घाटन करते हुए कही. उन्होंने कहा कि विकसित भारत की कहानी ‘विज्ञान की वर्णमाला‘ में लिखी जाएगी. सिंह ने एक ऐसी संस्कृति को बढ़ावा देने के महत्त्व के बारे में बताया, जहां विज्ञान प्रगति को आगे बढ़ाता है. यह एक ऐसे भविष्य को आकार देता है, जहां प्रौद्योगिकी और अनुसंधान स्वास्थ्य सेवा से लेकर बुनियादी ढांचे तक समाज के हर पहलू में योगदान करते हैं. सिंह ने मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के अब तक के उन छह प्रमुख फैसलों के बारे में बताया, जो वैज्ञानिक उन्नति के लिए भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हैं. इनमें 1 लाख करोड़ रुपये के राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन की स्थापना, अंतरिक्ष स्टार्टअप के लिए एक हजार करोड़ रुपये का वेंचर फंड और मौसम पूर्वानुमान को बढ़ाने के लिए मिशन मौसम की शुरुआत शामिल थी. उन्होंने पर्यावरण, आर्थिक और रोजगार वृद्धि के लिए जैव प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने के लिए डिजाइन की गई बायो-ई3 पहल और 2 करोड़ से अधिक छात्रों के लिए अकादमिक पत्रिकाओं तक सार्वभौमिक पहुंच प्रदान करने के लिए ‘एक राष्ट्र, एक सदस्यता‘ नीति की शुरुआत पर भी चर्चा की. इसके अतिरिक्त नवाचार को बढ़ावा देने के लिए वैश्विक मान्यता प्राप्त अटल इनोवेशन मिशन को इसके प्रभाव का विस्तार करने के लिए आगे बढ़ाया गया. महोत्सव का विषय विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लिए वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में भारत, जैव-विनिर्माण, अर्धचालक और चिकित्सा उपकरणों में अग्रणी होने की राष्ट्र की आकांक्षाओं के अनुरूप है.
डा सिंह ने बताया कि भारत इन क्षेत्रों में तेजी से प्रगति कर रहा है, जिसमें क्वांटम मिशन और अर्धचालक विनिर्माण जैसी प्रगति का समर्थन करने वाले महत्त्वपूर्ण निवेश और नीतिगत ढांचे हैं. उन्होंने इस बात पर बल दिया कि सरकार का दृष्टिकोण भारत को विज्ञान और प्रौद्योगिकी में वैश्विक प्रमुख के रूप में स्थापित करना है. मंत्री ने देश भर में युवा दिमागों को प्रेरित करने की आवश्यकता पर बल दिया. डा सिंह ने कहा कि जैव प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष और कृषि प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में स्टार्टअप मुख्य रूप से बेंगलुरु और पुणे जैसे शहरों से उभरे हैं और उन्होंने छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचने के महत्त्व पर बल दिया. उन्होंने युवा इन्नोवेटर्स के लिए पहुंच बढ़ाने का आग्रह करते हुए कहा, ‘कल के स्टार्टअप देश के हर कोने से उभरने चाहिए.‘ सिंह ने पूर्वोत्तर में इस कार्यक्रम की मेजबानी के महत्त्व पर भी प्रकाश डाला, एक ऐसा क्षेत्र जिसने मोदी सरकार के तहत उल्लेखनीय परिवर्तन किया है. उन्होंने याद किया कि कैसे, 2014 से पहले, पूर्वोत्तर के अधिकांश हिस्से में बुनियादी ढांचे की कमी थी, लेकिन आज रेलवे, जलमार्ग और सड़क नेटवर्क का विस्तार हुआ है. उन्होंने कहा, “पूर्वोत्तर अब हाशिये पर नहीं है, बल्कि भारत की विकास कहानी का केंद्र है,” उन्होंने इस क्षेत्र को देश के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदानकर्ता के रूप में सम्मानित किया. भारत भर से दस हजार से अधिक छात्रों ने इसमें भागीदारी की. यह कार्यक्रम युवा दिमागों को जुड़ने, सीखने और विज्ञान और प्रौद्योगिकी में वैश्विक नेता के रूप में भारत की बढ़ती प्रतिष्ठा में योगदान देने के लिए उत्प्रेरक करने का काम करता है. इस महोत्सव में भारत के वैज्ञानिक समुदाय के प्रमुख लोगों ने हिस्सा लिया, जिनमें नीति आयोग के डा वीके सारस्वत, प्रोफेसर एके, भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार डा सूद, सीएसआईआर का नेतृत्व करने वाली पहली महिला डा एन कलैसेल्वी, जैव प्रौद्योगिकी सचिव डा राजेश गोखले और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव प्रोफेसर अभय करंदीकर उपस्थित थे.