चंडीगढ़: “न्याय संहिता समानतासमरसता और सामाजिक न्याय के विचारों से बुनी गई है. हम हमेशा से सुनते आए हैं किकानून की नज़र में सब बराबर होते हैं. लेकिनव्यवहारिक सच्चाई कुछ और ही दिखाई देती है. गरीबकमजोर व्यक्ति कानून के नाम से डरता था. जहां तक संभव होता थावो कोर्ट-कचहरी और थाने में कदम रखने से डरता था. अब भारतीय न्याय संहिता समाज के इस मनोविज्ञान को बदलने का काम करेगी.” प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तीन नए आपराधिक कानूनों के सफल कार्यान्वयन को राष्ट्र को समर्पित करते हुए यह बात कही. उन्होंने कहा कि भारतीय न्याय संहिताभारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता… हर पीड़ित के प्रति संवेदनशीलता से परिपूर्ण है. देश के नागरिकों को इसकी बारीकियों का पता चलना ये भी उतना ही आवश्यक है. हर राज्य की पुलिस को अपने यहां इसे प्रचारितप्रसारित करना चाहिए. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस संहिता के तहत शिकायत के 90 दिनों के भीतर पीड़ित को केस की प्रगति से संबंधित जानकारी देनी होगी. ये जानकारी एसएमएस जैसी डिजिटल सेवाओं के जरिए सीधे उस तक पहुंचेगी. पुलिस के काम में बाधा डालने वाले व्यक्ति के खिलाफ एक्शन लेने की व्यवस्था बनाई गई है. प्रधानमंत्री ने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए न्याय संहिता में एक अलग चैप्टर रखा गया है. वर्क प्लेस पर महिलाओं के अधिकार और सुरक्षाघर और समाज में उनके और बच्चों के अधिकारभारतीय न्याय संहिता ये सुनिश्चित करती है कि कानून पीड़िता के साथ खड़ा हो. इसमें एक और अहम प्रावधान किया गया है. अब महिलाओं के खिलाफ बलात्कार जैसे घृणित अपराधों में पहली हियरिंग से 60 दिन के भीतर चार्ज फ्रेम करने ही होंगे. सुनवाई पूरी होने के 45 दिनों के भीतर-भीतर फैसला भी सुनाया जाना अनिवार्य कर दिया गया है. ये भी तय किया गया है कि किसी केस में बार से अधिक स्थगनएडजर्नमेंट नहीं लिया जा सकेगा.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारतीय न्याय संहिता का मूल मंत्र है- सिटिज़न फ़र्स्ट! भारतीय न्याय संहिता का एक और पक्ष है…उसकी मानवीयताउसकी संवेदनशीलता अब आरोपी को बिना सजा बहुत लंबे समय तक जेल में नहीं रखा जा सकता. अब वर्ष से कम सजा वाले अपराध के मामले में गिरफ़्तारी भी हायर अथॉरिटी की सहमति से ही हो सकती है. छोटे अपराधों के लिए अनिवार्य जमानत का प्रावधान भी किया गया है. साधारण अपराधों में सजा की जगह सामुदायिक सेवा का विकल्प भी रखा गया है. ये आरोपी को समाज हित मेंसकारात्मक दिशा में आगे बढ़ने के नए अवसर देगा. प्रधानमंत्री ने कहा कि न्याय की पहली कसौटी है- समय से न्याय मिलना. हम सब बोलते और सुनते भी आए हैं- न्याय में देरीअन्याय है! इसीलिएभारतीय न्याय संहितानागरिक सुरक्षा संहिता के जरिए देश ने त्वरित न्याय की तरफ बड़ा कदम उठाया है. इसमें जल्दी चार्जशीट फाइल करने और जल्दी फैसला सुनाने को प्राथमिकता दी गई है. किसी भी केस में हर चरण को पूरा करने के लिए समय-सीमा तय की गई है. ये व्यवस्था देश में लागू हुए अभी कुछ ही महीने हुए हैं. इसे परिपक्व होने के लिए अभी समय चाहिए. लेकिनइतने कम अंतराल में ही जो बदलाव हमें दिख रहे हैंदेश के अलग-अलग हिस्सों से जो जानकारियां मिल रही हैं…वे वाकई बहुत संतोष देने वाली हैंउत्साहजनक है. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि नियम या कानून तभी प्रभावी रहते हैंजब समय के मुताबिक प्रासंगिक हों. आज दुनिया इतनी तेजी से बदल रही है. अपराध और अपराधियों के तोर-तरीके बदल गए हैं. ऐसे में 19वीं शताब्दी में जड़ें जमाए कोई व्यवस्था कैसे व्यावहारिक हो सकती थीइसीलिएहमने इन क़ानूनों को भारतीय बनाने के साथ-साथ आधुनिक भी बनाया है. उन्होंने कहा कि देश का कानून नागरिकों के लिए होता है. इसलिएकानूनी प्रक्रियाएं भी पब्लिक की सुविधा के लिए होनी चाहिए. किसी भी देश की ताकत उसके नागरिक होते हैं. औरदेश का कानून नागरिकों की ताकत होता है.