मुंबई: “कृत्रिम बुद्धिमत्ता केवल एक माध्यम नहीं है बल्कि मानवीय निगरानी में पूर्व ज्ञान का उपयोग करने और अपनाने का एक साधन है, जो नैतिक और प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करता है.” स्थानीय नेहरू विज्ञान केंद्र में राष्ट्रीय विज्ञान संगोष्ठी के उद्घाटन अवसर पर यह बात आईआईटी बाम्बे में डीन और एआई और एमएल चेयर प्रोफेसर रवींद्र डी गुडी ने कही. प्रो गुडी ने विविध क्षेत्रों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता की परिवर्तनकारी शक्ति विशेष रूप से व्यक्तिगत चिकित्सा में इसकी क्रांतिकारी भूमिका पर प्रकाश डालकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. उन्होंने बताया कि कैसे तकनीकी विकास की छह तरंगों के माध्यम से मानव की उल्लेखनीय यात्रा शुरू हुई है. उन्होंने भविष्य को फिर से परिभाषित करने के लिए इन नवाचारों की गहन क्षमता पर जोर दिया और हमसे इस बदलाव को दूरदर्शिता और जिम्मेदारी के साथ अपनाने का आग्रह किया. अपने मुख्य भाषण में डा एम ससिकुमार ने अपने उच्च अध्ययन के दौरान कृत्रिम बुद्धिमत्ता के बारे में प्राप्त अपने अनुभव साझा किए और इसके विकास और सीमाओं पर प्रकाश डाला. उन्होंने गूगल ट्रांसलेट जैसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता उपकरणों के जिम्मेदारी पूर्वक उपयोग की आवश्यकता पर जोर दिया और डीपफेक तकनीक जैसी चुनौतियों के प्रति आगाह किया. उन्होंने छात्रों से विश्वसनीय स्रोतों पर भरोसा करने और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के विकास में योगदान देने का आग्रह किया. अरिजीत दत्ता चौधरी ने सामाजिक चुनौतियों का समाधान करने के लिए युवाओं में वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने और संवाद विकसित करने के महत्त्व पर प्रकाश डाला. संगोष्ठी के तहत ‘कृत्रिम बुद्धिमत्ता: संभावनाएं और चिंताएं‘ विषय पर देश के विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 32 छात्रों ने अपनी राय रखी..
भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद ने इस कार्यक्रम को आयोजित किया था. 1982 में अपनी स्थापना के बाद से ही यह कक्षा आठवीं से दसवीं तक के छात्रों के बीच बौद्धिक जिज्ञासा विकसित करने का एक महत्त्वपूर्ण मंच बना हुआ है. पिछले कुछ वर्षों में 50,000 से अधिक छात्रों ने ब्लाक स्तर से शुरू कर राष्ट्रीय स्तर तक की बहु-स्तरीय चर्चाओं में भाग लिया है. 2024 की संगोष्ठी में शीर्ष 32 प्रतिभागियों की प्रस्तुतियां उनके शिक्षक अनुरक्षकों के साथ प्रदर्शित की गईं. इस संगोष्ठी में उनकी रचनात्मकता, नवाचार और आलोचनात्मक सोच के बारे में बताया गया. छात्रों की प्रस्तुतियों में संभावनाओं और सावधानी का संतुलन दिखाई दिया जिसमें नैतिक चिंताओं का समाधान करते हुए महत्त्वपूर्ण मुद्दों को हल करने की कृत्रिम बुद्धिमत्ता की क्षमता को स्वीकार किया गया. प्रोफेसर कुमारदेव बनर्जी, यशवंत कानेतकर, डा मनोज के डेका, डा कविता सूदा और भरत गुप्ता सहित जजों के पैनल ने प्रत्येक प्रस्तुति का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन किया. कार्यक्रम समापन सत्र और पुरस्कार वितरण समारोह के साथ संपन्न हुआ. इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट आफ फंडामेंटल रिसर्च के निदेशक प्रोफेसर जयराम एन चेंगलूर की उपस्थिति रही. राष्ट्रीय विज्ञान संगोष्ठी 2024 के विजेताओं की घोषणा शाम को हुई, जिसमें मिस रचना एसजी, भारत विद्या मंदिर सीनियर सेकेंडरी स्कूल, तमिलनाडु ने प्रतिष्ठित पुरस्कार जीता और नौ उपविजेता रहे. उनकी विचारोत्तेजक प्रस्तुतियों ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता की संभावनाओं और चुनौतियों का पता लगाने में भारत के युवाओं की असाधारण प्रतिभा और दूरदर्शिता का प्रदर्शन किया. तपस कुमार मोहराना ने धन्यवाद ज्ञापन दिया. इस अवसर पर उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों में एनसीएसएम के महानिदेशक अरिजीत दत्ता चौधरी और नेहरू विज्ञान केंद्र मुंबई के निदेशक उमेश कुमार रुस्तागी के साथ-साथ छात्र, शिक्षक और आमंत्रित अतिथि शामिल थे.