गुवाहाटी: “महान अहोम पूर्वजों की बहादुरी, वीरता और अदम्य साहस की विरासत को साथ लेकर चलने वाले चराइदेव के मैदाम, महान असमिया राष्ट्र के लिए आत्म-सम्मान और गौरव के स्थायी प्रतीक के रूप में खड़े हैं. यूनेस्को वैश्विक धरोहर स्थल के रूप में मिली यह मान्यता अहोम राजवंश के समृद्ध इतिहास को वैश्विक मंच के समक्ष लाती है.” केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने यूनेस्को की ओर से विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दिए जाने के बाद चराइदेव मैदाम का दौरा करने के दौरान यह बात कही. पूर्वोत्तर के किसी भी सांस्कृतिक स्थल के लिए इस तरह का यह पहला सम्मान है. इस अवसर पर बोलते हुए सोनोवाल ने कहा, “यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त चराइदेव मैदाम, अहोम युग की वास्तुकला प्रतिभा का एक उल्लेखनीय प्रमाण है, जो श्रद्धेय पूर्वजों की धरोहर को दर्शाता है. यह ऐतिहासिक उपलब्धि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी डंगोरिया के दूरदर्शी प्रयासों से संभव हो सकी. इस धरोहर को वैश्विक पहचान दिलाने के लिए असम के लोग मोदी डंगोरिया के प्रति बहुत आभारी हैं. चराइदेव मैदाम की समृद्ध परंपरा निरंतर प्रकाशित रहे, हमें महान अहोम शासकों के शाश्वत आदर्शों से प्रेरित करती रहे और एक समृद्ध और सांस्कृतिक रूप से जीवंत राज्य के निर्माण में हमारा मार्गदर्शन करती रहे.”
सोनोवाल ने कहा कि मैं वैश्विक यात्रियों और पर्यटकों को अहोम काल की अद्वितीय सांस्कृतिक वास्तुकला प्रतिभा और सांस्कृतिक परंपराओं को देखने के लिए आमंत्रित करना चाहूंगा. एक परिवर्तनशील असमिया समाज में सबसे बड़ा सामाजिक सांस्कृतिक ताना-बाना, जिसे अहोम राजा अपने शानदार 600 वर्षों के सुशासन के माध्यम से बुनने में सफल रहे, यह धरोहर न केवल असोमिया के रूप में हम सभी को प्रेरित करती है, बल्कि वैश्विक मंच पर हमें अपनी समृद्धि की धरोहर का प्रदर्शन करने के लिए भी प्रेरित करती है. आज, यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में चराइदेव मैदाम को मिली उचित मान्यता ने असम और अहोम धरोहर के बारे में वैश्विक यात्रियों और पर्यटकों के बीच उत्सुकता और जिज्ञासा पैदा की है. सोनोवाल ने कहा कि 13वीं शताब्दी में, स्वर्गदेव चाओलुंग सुकाफा ने ‘सात राज सामारी एक राज‘ (सात राज्यों को एकीकृत) करने की नीति के अंतर्गत विभिन्न समुदायों को एकजुट करके और सुशासन स्थापित करके वृहद असम की नींव रखी. उन्हीं आदर्शों से प्रेरित होकर, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘सबका साथ, सबका विकास‘ के अपने दृष्टिकोण के माध्यम से भारत के लोगों को एक मजबूत, विकसित और आत्मनिर्भर राष्ट्र का मार्ग प्रशस्त करने के लिए एकजुट किया है. समावेशी विकास की यह यात्रा, भारत के हर समुदाय को शामिल करते हुए, सद्भाव, प्रत्येक नागरिक के सशक्तिकरण की यात्रा है, जो राष्ट्र को एक साथ लाती है. सोनोवाल ने चराइदेव में प्रदेश सरकार की ओर से आयोजित ‘मी-डैम-मी-फी‘ समारोह में भाग लिया.