झुंझुनू: “भारत जैसा दूसरा देश दुनिया में नहीं है, 5000 साल का इतिहाससांस्कृतिक विरासतज्ञान का खजानाभंडार कोई दूसरा देश नजदीक तक नहीं आता है. वेदउपनिषदपुराणक्या ज्ञान के भंडार हैं! कोई ऐसा विषय नहीं है कि हम उनमें गोता लगाए और हमें कोई सार्थक चीज प्राप्त न हो. हम भारतीय हैंभारतीयता हमारी पहचान हैराष्ट्रवाद हमारा धर्म है. राष्ट्रवाद को हमें हमेशा सर्वोपरि रखना है.” विश्व बाल दिवस के अवसर पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने जवाहर नवोदय विद्यालय के छात्रों को संबोधित करते हुए यह बात कही. उपराष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा समाज में बदलाव और समानता स्थापित करने का सबसे बड़ा केंद्र है. उन्होंने कहा, “शिक्षा समाज में समानता को बढ़ावा देती है और असमानता को समाप्त करती है. शिक्षा हमें जो चरित्र प्रदान करती हैवही हमें परिभाषित करता है.” उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमारी जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति हैयह आपको कई काम साथ करने के लिए भी प्रेरित करती हैताकि आप अपनी प्रतिभा को पूरी तरह से चमका पाएं. उपराष्ट्रपति ने कहा कि एक जमाना थाऔर उस जमाने में क्या कहते थेपढ़ोगे-लिखोगे बनोगे नवाबखेलोगे-कूदोगे बनोगे खराब. आज इसकी प्रासंगिकता नहीं है.

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि तब पढ़ाई की ओर प्रेरित करते थेवही एक लकीर थी. हम सब लकीर के फकीर बन गएमाता-पिता सिर्फ मार्कशीट देखते थे. आज का जमाना बदल गया है. आप में से किसी को फुटबाल पसंद हैएथलीट पसंद हैकबड्डी पसंद हैक्रिकेट पसंद हैचैस पसंद हैहॉकी पसंद हैया कुछ भी पसंद है आजमाइए. जब डर निकाल दोगे ना बिलकुल मत डरना. इसका मतलब यह नहीं है कि चाहे सो करोगोन डरने के लिए बहुत चीजों की आवश्यकता है की  हम संयम रखेंगेसही रास्ते पर रखेंगेगलती नहीं करेंगे और  जब गलती होगी तब सुधार करेंगे.  दूसरा  जो मन में आएऔर अच्छा विचार आएउसको ना करना कि मैं असफल हो जाऊंगा. असफलता का डर निकाल दोक्योंकि दुनिया की सबसे बड़ी उपलब्धि आप असफलता के बाद हुई है. उपराष्ट्रपति ने कहा कि चंद्रयान-चांद पर उतराचंद्रयान-2  तो नहीं उतरा था. चंद्रयान-तो नजदीक पहुंच गया थाकुछ मीटर ही बचे थे पूरी सफलता नहीं मिली. अब उसको कुछ लोग असफलता कहते हैंहम उसको आंशिक सफलता नहीं कहते हैं. करीब-करीब सफलता आंशिक रूप से कुछ कमी रह गई तो उसी का कारण है कि चंद्रयान-बन पाया. आज के दिन जब अपने भारत को देखते हैं और दुनिया से तुलना करते हैंतो लोग अचंभित हो जाते हैं.