उज्जैन: “मेघदूत प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत नजारा दिखाता है. पर मेघदूत हमें यह भी सिखाता है इस प्रकृति के साथ खिलवाड़ मत करो. इस प्रकृति का सृजन करना हमारा काम है. यदि अगर हम प्रकृति की ओर ध्यान नहीं देंगे तो हमारे पास रहने के लिए दूसरी पृथ्वी नहीं है.” उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने उज्जैन में 66 वें ‘अखिल भारतीय कालिदास समारोह‘ में उद्बोधन के दौरान यह बात कही. उन्होंने कहा कि आज की ज्वलंत समस्या पर्यावरण की है. इसकी ओर हमारा ध्यान महाकवि कालिदास की रचनाओं से मिलता है. उनसे हमें बोध होता है पर्यावरण संरक्षण और सृजन हमारे अस्तित्व के लिए अहम है. जागरूकता से जलवायु परिवर्तन की गंभीर समस्या पर सभी को ध्यान देना चाहिए और हमें याद रखना चाहिए कि हमारे पास पृथ्वी के अलावा दूसरा कोई रहने का स्थान नहीं है. उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह निश्चित है, यह ध्यान में रखने वाली बात है, जो देश, जो समाज अपनी संस्कृति, अपनी सांस्कृतिक धरोहर को नहीं सम्भाल के रखता है वो समाज ज़्यादा दिन नहीं टिक सकता है. हमें हमारी संस्कृति पर पूरा ध्यान देना होगा, हमारी सांस्कृतिक जड़ें हमें याद दिलाती हैं कि जीवन का सार क्या है, जीवन का मूल्य क्या है, जीवन का दर्शन क्या है? और हमारे अस्तित्व का महत्व क्या है. आज का यह 66 वा अखिल भारतीय कालिदास समारोह हमारी संस्कृति का प्रतीक है. हमें याद दिलाता है कि दुनिया में हम कितने अद्भुत है. भारत जैसा कोई दूसरा देश नहीं है जिसके पास ऐसी सांस्कृतिक विरासत हो.
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि कोई भी समाज, कोई भी देश, इस आधार पर नहीं चल सकता कि हम अधिकारों पर जोर दें. हमारे संविधान ने हमें अधिकार दिए हैं, पर हमें संतुलित करना होगा उन अधिकारों को हमारे दायित्व से. नागरिक के दायित्व होते हैं, नागरिक की जिम्मेदारी होती है. और इसलिए आज के दिन मैं आपको आह्वान करूंगा, मन को टटोलिए. हम महान भारत के नागरिक हैं. भारतीयता हमारी पहचान है. हमारा राष्ट्रवाद में विश्वास है, राष्ट्र हमारा सबसे बड़ा धर्म है, राष्ट्र को सर्वोपरि रखते हैं और उसमें हर नागरिक को आहुति देनी है. और उसका सबसे श्रेष्ठ माध्यम है कि नागरिक अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें. उन्होंने कहा कि बच्चे हमारी आने वाली पीढ़ी है. हमें उनके चरित्र का ध्यान देना चाहिए. नैतिकता का विश्वास उनमें बढ़ाना चाहिए. यह हमारी मुख्य जिम्मेदारी है. बहुत अच्छा है हम कल्पना करें आकांक्षा रखे बच्चा डाक्टर बने, इंजीनियर बने, अफसर बने, उद्योगपति बने, पर सबसे ज्यादा जरूरी है कि बच्चा अच्छा नागरिक बने, वो नागरिक के महत्व को समझे, नागरिक के कर्तव्य को समझें. उपराष्ट्रपति ने कहा कि आज ‘सामाजिक समरसता‘ को जगह-जगह से चुनौतियां दी जा रही हैं. भारत हमेशा सामाजिक समरसता, विश्व शांति और सबके कल्याण को दृष्टि में रखता है. हम उस देश के वासी हैं जिसने वसुधैव कुटुम्बकम को अपनाया, दुनिया के सामने सार्थक प्रयोग रखा है. हमने दुनिया को योग दिया, यह विद्या हमने दी क्योंकि हम सबकी सोचते हैं.