नई दिल्ली: भारतीय सेना द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय परिचर्चा ‘चाणक्य रक्षा संवाद‘ का दूसरा संस्करण स्थानीय मानेकशा सेंटर में संपन्न हुआ. इस दो दिवसीय कार्यक्रम में भारत और विदेश के नीति निर्माता, रणनीतिक विचारक, शिक्षाविद, रक्षाकर्मी, अनुभवी वैज्ञानिक और विषय विशेषज्ञ भारत की रणनीतिक दिशाओं और विकासात्मक प्राथमिकताओं पर विचार विमर्श के लिए एक साथ आए. चाणक्य रक्षा संवाद 2024 का विषय था ‘राष्ट्र निर्माण में प्रेरक: व्यापक सुरक्षा के माध्यम से विकास को बढ़ावा देना‘. सेमिनार में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय नीति निर्माण के व्यापक संदर्भ में सुरक्षा गतिशीलता के एकीकरण पर आवश्यक चर्चा हुई. भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, इजराइल और श्रीलंका के प्रमुख वक्ताओं ने इस बारे में वैश्विक परिप्रेक्ष्य प्रस्तुत किया कि सुरक्षा हमारे देश के विकास को किस प्रकार 2047 तक विकसित भारत की ओर ले जाएगा. संवाद का उद्देश्य न केवल वर्तमान परिदृश्य का विश्लेषण करना था, बल्कि सतत और समावेशी विकास के लिए दूरदर्शी रणनीति तैयार करना भी था. दूसरे दिन संवाद में दो विशेष संबोधन हुए. इसरो के अध्यक्ष डा एस सोमनाथ ने राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने में भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र की महत्त्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया. इसरो प्रमुख ने आधुनिक समय में अंतरिक्ष के महत्त्व, खासकर उपग्रह संचार, नेविगेशन, अंतरिक्ष विज्ञान और पृथ्वी अवलोकन के क्षेत्र में बढ़ती भीड़ और प्रतिस्पर्धा पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष एक भीड़भाड़ वाला और प्रतिस्पर्धी क्षेत्र बन गया है, जिसमें जामिंग, एंटी-सैटेलाइट खतरे, पैंतरेबाज वाहन और निर्देशित ऊर्जा हथियार जैसे प्राकृतिक, आकस्मिक और जानबूझकर किए गए खतरे परिचालन जोखिम पैदा करते हैं. इन मुद्दों से निपटने के लिए, इसरो अंतरिक्ष स्थिति जागरूकता पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, जिससे अंतरिक्ष में अपनी परिसंपत्तियों और राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अवलोकन, विश्लेषण और शमन किया जा सकेगा. उन्होंने उपग्रह प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष आधारित निगरानी और संचार प्रणालियों में हुई प्रगति पर प्रकाश डाला जो देश की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने और इस क्षेत्र में विकास के लिए महत्त्वपूर्ण हैं.
इस दौरान इसरो प्रमुख ने अवलोकन क्षमताओं को बढ़ाने के महत्त्व पर चर्चा की और सैन्य उपयोग के लिए कम पुनरीक्षण समय और अत्याधुनिक उपग्रहों की आवश्यकता को रेखांकित किया. अंतरिक्ष में भारत की रणनीतिक स्थिति को मजबूत करने के लिए निजीकरण और अतिरिक्त उपग्रहों के प्रक्षेपण को भी महत्त्वपूर्ण माना गया. डा एस सोमनाथ ने भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में स्वदेशी घटकों के बढ़ते उपयोग पर भी जोर दिया, जिसमें अब राकेट में 95% और उपग्रहों में 60% घरेलू स्रोत सामग्री शामिल है. इस बदलाव में किसी भी विदेशी-आयातित घटकों का गहन निरीक्षण, सभी उपकरणों में गुणवत्ता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कड़े तंत्र की स्थापना शामिल है. ये प्रगति अंतरिक्ष क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भरता‘ प्राप्त करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है. इसरो अपनी एसएसए पहलों और उपग्रह तैनाती के जरिये नवाचार और सहयोग के माध्यम से राष्ट्रीय और वैश्विक अंतरिक्ष सुरक्षा को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है, जिससे उभरती अंतरिक्ष चुनौतियों का सामना किया जा सकेगा. दूसरे विशेष संबोधन में संयुक्त राष्ट्र में भारत की पूर्व स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने आज के बहुपक्षीय विश्व को आकार देने में भारत की उभरती और प्रभावशाली भूमिका पर बल दिया. उन्होंने वैश्विक शासन संरचनाओं को बेहतर बनाने के लिए उन्हें अधिक सशक्त और न्यायसंगत बनाने के लिए देश की लगातार वकालत पर प्रकाश डाला. उन्होंने भारत के कूटनीतिक प्रभाव का लाभ उठाकर, शांति अभियानों में सक्रिय रूप से भाग लेकर और वैश्विक भागीदारी को बढ़ावा देकर भारत के रणनीतिक हितों की रक्षा करने के महत्त्व पर जोर दिया. इसके अतिरिक्त, उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट के लिए भारत के प्रयास की ओर इशारा किया, जो एक जिम्मेदार और रचनात्मक वैश्विक अभिनेता के रूप में भारत के बढ़ते कद को दर्शाता है, जो नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बढ़ावा देने और भविष्य के बहुपक्षीय ढांचे को आकार देने में वैश्विक दक्षिण देशों के लिए प्रतिबद्ध है. चाणक्य रक्षा संवाद 2024 के दूसरे दिन तीन सत्रों में ‘सामाजिक एकजुटता और समावेशी विकास: एक सुरक्षित राष्ट्र के स्तंभ‘; ‘धुंधली होती सीमाएं: प्रौद्योगिकी और सुरक्षा का अभिसरण‘ और ‘ग्राउंडब्रेकर्स: भूमि युद्ध को आकार देना, भारतीय सेना के लिए विचार‘ जैसे विषय पर गंभीर संवाद हुआ.