नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पाली को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने के भारत सरकार के फैसले पर प्रसन्नता व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि इससे भगवान बुद्ध के विचारों में विश्वास रखने वालों में खुशी की भावना जागृत हुई है. प्रधानमंत्री ने कोलंबो में आईसीसीआर द्वारा आयोजित ‘शास्त्रीय भाषा के रूप में पाली‘ विषय पर पैनल चर्चा में भाग लेने वाले विभिन्न देशों के विद्वानों और भिक्षुओं को भी धन्यवाद दिया. कोलंबो में भारतीय उच्चायोग के आधिकारिक हैंडल से की गई एक पोस्ट का जवाब देते हुए मोदी ने कहा, “मुझे खुशी है कि पाली को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने के भारत सरकार के फैसले ने भगवान बुद्ध के विचारों में विश्वास रखने वालों में खुशी की भावना जगाई है. कोलंबो में इस कार्यक्रम में भाग लेने वाले विभिन्न देशों के विद्वानों और भिक्षुओं का मैं आभारी हूं.” इससे पहले भी नई दिल्ली के विज्ञान भवन में अंतर्राष्ट्रीय अभिधम्म दिवस और पाली को शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता दिए जाने के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा था कि पाली को शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता देना भगवान बुद्ध की महान विरासत और धरोहर के प्रति श्रद्धांजलि है. उन्होंने कहा था कि धम्म में अभिधम्म निहित है और धम्म के वास्तविक सार को समझने के लिए पाली भाषा का ज्ञान होना आवश्यक है. मोदी ने धम्म के विभिन्न अर्थों की व्याख्या करते हुए कहा था कि धम्म का अर्थ है भगवान बुद्ध का संदेश और सिद्धांतमानव अस्तित्व से जुड़े प्रश्नों का समाधानमानव जाति के लिए शांति का मार्गबुद्ध की शाश्वत शिक्षाएं और संपूर्ण मानवता के कल्याण का दृढ़ आश्वासन. उन्होंने कहा कि बुद्ध के धम्म से संपूर्ण विश्व निरंतर प्रकाशमान हो रहा है.

प्रधानमंत्री का कहना था कि दुर्भाग्य से भगवान बुद्ध द्वारा बोली जाने वाली पाली भाषा अब आम बोलचाल में नहीं रह गई है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं हैबल्कि संस्कृति और परंपरा की आत्मा है. उन्होंने कहा कि यह मूल भावों से जुड़ी हुई है और पाली को वर्तमान समय में जीवित रखना सभी की साझा जिम्मेदारी है. उन्होंने संतोष व्यक्त किया था कि वर्तमान सरकार ने इस जिम्मेदारी को विनम्रता के साथ निभाया है और भगवान बुद्ध के करोड़ों अनुयायियों की अपेक्षाओं को पूरा करने का प्रयास कर रही है. प्रधानमंत्री ने कहा था, “किसी भी समाज की भाषासाहित्यकला और आध्यात्मिकता की विरासत उसके अस्तित्व को परिभाषित करती है.” उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि किसी भी देश द्वारा खोजे गए किसी भी ऐतिहासिक अवशेष या कलाकृति को पूरे विश्व के सामने गर्व के साथ प्रस्तुत किया जाता है. उन्होंने कहा कि भले ही हर देश अपनी विरासत को पहचान से जोड़ता हैलेकिन स्वतंत्रता से पहले देश पर किए गए आक्रमणों और स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद गुलामी की मानसिकता के कारण भारत पिछड़ गया. प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि भारत पर एक ऐसे तंत्र का कब्जा था जिसने देश को विपरीत दिशा में धकेलने का काम किया. उन्होंने कहा कि भारत की आत्मा में बसने वाले बुद्ध और स्वतंत्रता के समय अपनाए गए उनके प्रतीकों को बाद के दशकों में भुला दिया गया. उन्होंने खेद व्यक्त किया कि आजादी के सात दशक बाद भी पाली को उसका वह उचित स्थान नहीं मिल पाया जिसकी वह हकदार थी.