श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने इस बात पर जोर दिया कि जम्मू-कश्मीर कला, साहित्य, संगीत, लोक परंपराओं और अन्य क्षेत्रों में समृद्ध सांस्कृतिक विविधता का दावा करता है, जो लोगों को एकजुट करता है. वह श्रीनगर के टैगोर हाल में आयोजित तीन दिवसीय साहित्यिक उत्सव ‘जश्न-ए-संगम’ के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे. उपराज्यपाल सिन्हा ने कला, संस्कृति और भाषा को बढ़ावा देने के लिए वादी हिंदी शिक्षा समिति और जम्मू-कश्मीर कला, संस्कृति और भाषा अकादमी के प्रयासों की सराहना की. उन्होंने कहा कि ‘जश्न-ए-संगम’ जैसे कार्यक्रम विभिन्न क्षेत्रों, भाषाओं और संस्कृतियों के व्यक्तियों को एकता और साझा सांस्कृतिक जड़ों का जश्न मनाने के लिए एक साथ लाते हैं, जो एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना को मूर्त रूप देते हैं. उपराज्यपाल ने हिंदी को बढ़ावा देने में कश्मीर के लेखकों, कवियों और साहित्यकारों के महत्त्वपूर्ण योगदान को स्वीकार किया. उन्होंने कहा कि गैर-हिंदी भाषी व्यक्तियों ने हिंदी भाषा को बढ़ावा देने में बहुत बड़ा योगदान दिया है. ऐसे उपराज्यपाल ने एक महत्त्वपूर्ण पहल के रूप में गैर-हिंदी भाषी क्षेत्रों में छात्रों के बीच हिंदी और अन्य भाषाओं को बढ़ावा देने के महत्त्व पर प्रकाश डाला.
उपराज्यपाल सिन्हा ने कहा कि हिंदी सिनेमा ने अपनी वैश्विक पहुंच के साथ भाषा को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है. इसी तरह, क्षेत्रीय भाषाओं ने साहित्य, संस्कृति और राष्ट्र निर्माण में बहुत योगदान दिया है. उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 स्कूलों में शिक्षा के माध्यम के रूप में मातृभाषाओं और स्थानीय भाषाओं को बढ़ावा देने पर जोर देती है.उन्होंने कहा कि इस तरह के प्रयास एकता, सांस्कृतिक गौरव और साझा अभिव्यक्ति के मूल्यों को मजबूत करते हैं. उपराज्यपाल सिन्हा ने पिछले कुछ वर्षों में हिंदी, कश्मीरी, डोगरी, उर्दू, गोजरी, पहाड़ी, पंजाबी और शिना सहित जम्मू-कश्मीर में भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में उठाए गए महत्त्वपूर्ण कदमों को रेखांकित किया. कार्यक्रम के दौरान उपराज्यपाल ने कश्मीर संभाग के उन छात्रों को सम्मानित किया, जिन्होंने अपनी 10 वीं कक्षा की परीक्षाओं में हिंदी में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया था. उन्होंने युवाओं से लल्लेश्वरी, शेख-उल-आलम, संत कबीर दास और अन्य प्रमुख हस्तियों के जीवन से प्रेरणा लेने और साहित्य और भाषाओं को बढ़ावा देने की दिशा में काम करने का आग्रह किया. इस अवसर पर संस्कृति विभाग के प्रधान सचिव सुरेश कुमार गुप्ता, कश्मीर के संभागीय आयुक्त विजय कुमार बिधूड़ी, जम्मू एंड कश्मीर बैंक के प्रबंध निदेशक और सीईओ बलदेव प्रकाश, हरविंदर कौर, वादी हिंदी शिक्षा समिति के संरक्षक कुमार मनोज, नसरीन अली ‘निधि’ सहित बड़ी संख्या में साहित्यिक जगत से जुड़ी हस्तियां शामिल थीं.