नई दिल्ली: “संगीत और नृत्य ऐसी भाषाएं हैंजो सीमाओं से परे हैं और जिन्हें सार्वभौमिक रूप से समझा जाता है.”  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संगीत नाटक अकादमी द्वारा भारतीय नृत्य पर आयोजित पहले अंतर्राष्ट्रीय महोत्सव के लिए भेजे गए विशेष संदेश में यह बात कही. प्रधानमंत्री ने युवा पीढ़ी के लिए नृत्य के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए इसे भारत की सांस्कृतिक पहचान का अभिन्न अंग बताया. उन्होंने कहा प्रदर्शन कलाओं को समर्पित सबसे शुरुआती ग्रंथ भारत मुनि द्वारा लिखे गए थे. इस विरासत को आगे बढ़ाना गर्व और दायित्व दोनों है.” उन्होंने इस बात पर बल दिया कि युवाओं को ऐसे उत्सवों में सम्मिलित करने से उन्हें अपनी जड़ों से जुड़े रहने में सहायता मिलती है और राष्ट्र निर्माण में उनकी भूमिका मजबूत होती है. संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि यह त्यौहार भारतीय नृत्य की भव्य परंपरा का उत्सव मनाता हैजो हमारी सांस्कृतिक विरासत का सम्मान करने के लिए दुनिया भर से कलाकारोंविद्वानों और प्रदर्शन करने वालों को एक साथ लाता है. निरंतर बहती गंगा की तरहये परंपराएं पीढ़ियों के समर्पण से पनपती हैं और हमें विविधता के बीच एक गहरी एकता से जोड़ती हैं. उन्होंने कहा कि मैं राजस्थान के रेगिस्तान से आता हूंजहां कला अभावों में भी फली-फूली. मैंने देखा है कि कैसे संगीत और नृत्य जीवन को आनंद और अर्थ प्रदान करते हैंजैसे मीराबाई के भक्ति गीत प्रदान करते थे. आज की अशांत दुनिया मेंजहां भू-राजनीतिक अस्थिरता और नैतिक गिरावट प्रचलित हैभारत अपने प्राचीन ज्ञानकला और मूल्यों के माध्यम से एक सांस्कृतिक दिशा प्रदान करता है. जैसे-जैसे योग से लेकर आयुर्वेद तक हमारी प्रथाओं की वैश्विक स्वीकार्यता बढ़ती हैइस विरासत को आगे ले जाना हमारा दायित्व है. यह त्यौहार विचारों के आदान-प्रदान के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता हैजैसे समुद्र मंथन से अमृत निकलाउसी प्रकार से यह भावी पीढ़ियों के लिए प्रेरणा और दिशा के साथ भारत और दुनिया को सशक्त बनाता है.

संस्कृति मंत्रालय की संयुक्त सचिव उमा नंदूरी ने इस अविश्वसनीय कार्यक्रम के आयोजन और इतनी संख्या में युवा प्रतिभागियों को एक साथ लाने के लिए संगीत नाटक अकादमी को हार्दिक बधाई दी. उन्होंने कहा कि संस्कृति मंत्रालय मेंहम सांस्कृतिककलात्मक और नृत्य समुदायों के कल्याण और समानता की दिशा में काम कर रहे हैं. हम संस्कृति मंत्री के नेतृत्व में आने वाले वर्षों में महत्त्वपूर्ण प्रगति हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. डा सोनल मानसिंह ने कहा कि नृत्य द्वारा कठिन आंदोलन को बार-बार दोहराया गया है. नटराज का विचार हमारे समय में अधिक महत्त्व प्राप्त करता है. जब लोग वैज्ञानिक प्रगतिआर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और बहुत कुछ के बारे में बात कर रहे हैंतो मुझे डर है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक दिन ऐसी स्थिति पैदा कर सकती है जहां सोनल मानसिंह एआई की सहायता से नृत्य करेंगी. हमें इन सभी चीजों को औचित्यसंतुलन और रचनात्मकता की समझ के साथ संचित करते हुए आगे बढ़ना है. संगीत नाटक अकादमी की अध्यक्ष डा संध्या पुरेचा ने कहा कि उन्हें भारत भर में प्रदर्शन कलाओं की एक विस्तृत शृंखला का अनुभव करने का सौभाग्य मिला है. उन्होंने कहा कि यह लगभग सहज था कि मैंने भारतीय नृत्य के कई आयामों की सूक्ष्म खोज के लिए हमारी सभी समृद्ध और विविध नृत्य परंपराओं को एक छत के नीचे एकजुट करने की कल्पना की. जैसा कि प्रधानमंत्री मोदी ने भी कहा कि ऐसी समृद्ध विरासत को संरक्षित करना और आगे बढ़ाना गर्व के साथ-साथ एक दायित्व भी है.