दरभंगा: “साहित्यिक समारोहों का आयोजन बहुत आवश्यक है. देश भर में बहुत सारे ऐसे सम्मेलन और उत्सव होते हैं. जिसमें साहित्यकारों, विचारकों, चिंतक आते हैं और अपने विचार को रखते हैं. ताकि समाज सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ सके.” यह बात बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने तीन दिवसीय चंद्रगुप्त साहित्य महोत्सव 2024 को संबोधित करते हुए कही. इस अवसर पर उनका मिथिला के परंपरा के अनुसार स्वागत किया गया. तीन दिवसीय महोत्सव में राष्ट्रीय स्तर के साहित्यकारों, विचारकों, चिंतक भाग ले रहे हैं. राज्यपाल ने अपने संबोधन ने कहा कि देश के अंदर जयपुर और हिमाचल प्रदेश के सोलन में ऐसे फेस्टिवल होते हैं. जहां देश विरोधी विचारधाराओं के लोग जुटते हैं और अपनी बात रखते हैं.
दरभंगा राज परिसर में हो रहे इस महोत्सव में राज्यपाल ने कहा कि देश में जयपुर फेस्टिवल का बहुत चर्चा होती है. आप सभी जानते हैं कि जयपुर फेस्टिवल का क्या स्तर है. जयपुर फेस्टिवल बिल्कुल अलग विचारधाराओं के लोगों के लिए प्रसिद्ध है. अनेक बार वहां पर भारत विरोधी विचारधारायें वहां आती है. उन्होंने कहा कि इस तरह का आयोजन सिर्फ हिंदी भाषा में ही नहीं बल्कि, इस तरह के आयोजन में अन्य भाषा को भी सम्मिलित करने की आवश्यकता है. मंच पर राज्यपाल के अलावा अतिथि के रूप में दरभंगा राज परिवार के सदस्य कपिलेश्वर सिंह, आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख नरेंद्र कुमार ठाकुर, मोहन सिंह, राज किशोर, राजन प्रसाद गुप्ता तथा साहित्य अकादेमी दिल्ली की उपाध्यक्ष कुमुद शर्मा उपस्थित थीं.