शिलांग: राष्ट्रीय पुस्तक न्यास भारत द्वारा आयोजित शिलांग पुस्तक मेला वहां आयोजित हो रहे साहित्यिक कार्यक्रमों, डिजिटल शिक्षा और सांस्कृतिक उत्सवों के माध्यम से पाठकों का ध्यान आकर्षित कर रहा है. मेले में बच्चों से लेकर बड़े तक हर उम्र के पाठक अपनी पसंद की पुस्तकें खरीद रहे हैं. इनमें एनिमंगा यानी चित्रात्मक पुस्तकों को काफी सराहा जा रहा है. आठवीं कक्षा का छात्र जार्डन नोंगसिएज, जो एनीमे बुक्स स्टालों से प्रभावित थे का कहना था कि मैं एनीमे का बहुत बड़ा प्रशंसक हूं. मुझे स्टूडियो घिबली बहुत पसंद है. मैं यहां से बहुत सी किताबें खरीद कर ले जाऊंगा. शिलांग पुस्तक मेला का एक विशेष-सत्र राष्ट्रीय ई-पुस्तकालय के नाम रहा, जिसमें बच्चों को भारत के पहले राष्ट्रीय ई-पुस्तकालय के बारे में संपूर्ण जानकारी दी गई. बच्चों को यह बताया गया कि यह शिक्षा मंत्रालय द्वारा तैयार की गयी अपनी तरह की पहली डिजिटल लाइब्रेरी है. युवा प्रतिभागियों ने उत्सुकता से ऐप की विशेषताओं का पता लगाया और डिजिटल संसाधनों के विशाल संग्रह तक पहुंचने के नए तरीकों की खोज की.
इस सत्र ने छात्रों को इस अभिनव आभासी पुस्तकालय को समझने का अवसर प्रदान किया. चिल्ड्रन कार्नर उत्साह से भरा हुआ था, जिसमें विभिन्न स्कूलों के 400 से अधिक प्रतिभागी शामिल हुए. दिन की शुरुआत स्वर्ल एंड स्टाइल सेशन से हुई, जो कस्तूरी शर्मा के नेतृत्व में एक कर्सिव लेखन कार्यशाला थी. यहां छात्रों ने अपने लेखन कौशल को निखारा. मेले के सेल्फी प्वाइंट भी बच्चों और युवाओं को खूब भले लग रहे हैं. मेले में आयोजित सेल्फ डिफेंस के एक सत्र में कई विद्यार्थियों ने विशेषज्ञों से आत्मरक्षा के गुर सीखे. मेघालय ताइक्वांडो एसोसिएशन के सदस्यों के नेतृत्व में यह सत्र आयोजित किया गया था. प्रतिभागियों को बुनियादी आत्मरक्षा के गुर सिखाए गए. दिन की गतिविधियां एक जीवंत सांस्कृतिक-सत्र के साथ समाप्त हुईं, जिसमें गारो नृत्य सहित पारंपरिक नृत्य प्रदर्शन और प्रसिद्ध लोक और फ्यूजन समूह मूकुरी द्वारा एक आकर्षक संगीत कार्यक्रम शामिल था. शाम के प्रदर्शनों ने उत्सव की भावना को जोड़ा, जिससे पुस्तक मेला सभी के लिए वास्तव में एक यादगार अनुभव बन गया.