मऊ: राहुल सांकृत्यायन सृजन पीठ एवं जन संस्कृति मंच के संयुक्त तत्वावधान में ‘चौथीराम यादव के साहित्य लेखन में सामाजिक चेतना का परिप्रेक्ष्य’ विषयक विचार गोष्ठी का आयोजन हुआ. यह कार्यक्रम राहुल सांकृत्यायन सृजनपीठ के सभागार में संपन्न हुआ. काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के पूर्व आचार्य डा चौथीराम यादव की स्मृति में आयोजित कार्यक्रम की शुरुआत उनके चित्र पर पुष्पांजलि से हुई. इस मौके पर सर्वोदय पीजी कालेज में हिंदी विभाग के सहायक आचार्य डा धनंजय शर्मा की पुस्तक ‘मुक्तिबोध प्रयोगवाद और नई कविता’ का विमोचन भी हुआ. इस अवसर पर कवि शिवकुमार ‘पराग’ ने कहा कि प्रो चौथीराम यादव हाशिए के समाज के लेखक थे. प्रो यादव संत साहित्य के मर्मज्ञ विद्वान थे. वे संत रैदास के वेगमपुरा की अवधारणा पर आधारित सामाजिक माडल के हिमायती थे.
गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा के हिंदी विभाग के अध्यक्ष और वरिष्ठ कवि डा दिनेश कुशवाह और प्रो रामाज्ञा शशिधर ने बताया कि डा चौथीराम काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में वैसे ही रहते थे जैसे बत्तीसों दांतों के बीच जीभ रहती है. सेवानिवृत्त होने के बाद साहित्य लेखन को लेकर वे ज्यादा मुखर हो गए थे. बीएचयू के हिंदी विभाग के प्रो प्रभाकर सिंह ने कहा कि डा चौथीराम यादव हजारी प्रसाद द्विवेदी पर लिखते हुए अपने-आप को मुक्तिबोध से जोड़ लेते थे. डा रामप्रकाश कुशवाहा ने कहा कि प्रो चौथीराम यादव एक कुशल अध्यापक थे. सहायक आचार्य डा प्रियंका सोनकर ने कहा कि प्रो चौथीराम यादव सत्ता परिवर्तन की तुलना में व्यवस्था परिवर्तन को तरजीह देते थे. आयोजक मंडल की तरफ से वरिष्ठ साहित्यकार डा जयप्रकाश ‘धूमकेतु’ ने सभी विका स्वागत किया. संचालन बृजेश गिरि और धन्यवाद ज्ञापन डा धनंजय शर्मा ने किया. मौके पर डा संजय राय, मनोज सिंह, राम अवतार सिंह, बाबू रामपाल, डा रामविलास भारती, फखरे आलम, अतुल राय, डा रामशिरोमणि, डा तेजभान, डा प्रद्युम्न, शुभम सरोज आदि उपस्थित थे.