नई दिल्ली: भारतीय भाषाओं के प्रति प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का प्रेम हर उस अवसर पर अवश्य दिखता है, जहां उसकी आवश्यकता होती है. अभी जब कुछ भारतीय भाषाओं को शास्त्रीय भाषाओं का दर्जा मिलने पर लोग उसके महत्त्व को समझे भी नहीं थे, तभी प्रधानमंत्री ने मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बंगाली भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने के कैबिनेट के फैसले की प्रशंसा कर दी. प्रधानमंत्री ने ऐसा सार्वजनिक रूप से सोशल मीडिया पर अपनी एक्स पोस्ट के साथ किया. उन्होंने लिखा “मुझे बेहद खुशी है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद अब असमिया को शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिल जाएगा. असमिया संस्कृति सदियों से समृद्ध रही है और इसने हमें एक समृद्ध साहित्यिक परंपरा दी है. आने वाले समय में यह भाषा और भी लोकप्रिय होती रहेगी. मेरी बधाई.”
प्रधानमंत्री ने आगे लिखा, “मुझे बहुत खुशी है कि महान बंगाली भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया है, खासकर दुर्गा पूजा के शुभ अवसर पर. बंगाली साहित्य ने वर्षों से असंख्य लोगों को प्रेरित किया है. मैं दुनिया भर में सभी बंगाली भाषी लोगों को इसके लिए बधाई देता हूं.” उन्होंने मराठी भाषा के लिए लिखा, “मराठी भारत का गौरव है. इस ऐतिहासिक भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिए जाने पर बधाई. यह सम्मान, हमारे देश के इतिहास में मराठी के समृद्ध सांस्कृतिक योगदान को मान्यता देता है. मराठी हमेशा से भारतीय विरासत की आधारशिला रही है. मुझे यकीन है कि शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिलने से और भी कई लोग इसे सीखने के लिए प्रेरित होंगे.” इसी तरह उन्होंने लिखा, “पाली और प्राकृत भारत की संस्कृति की जड़ हैं. ये आध्यात्मिकता, ज्ञान और दर्शन की भाषाएं हैं. ये अपनी साहित्यिक परंपराओं के लिए भी जानी जाती हैं. शास्त्रीय भाषाओं के रूप में इनकी मान्यता भारतीय विचार, संस्कृति और इतिहास पर उनके कालातीत प्रभाव का सम्मान है. मुझे पूरा भरोसा है कि इन्हें शास्त्रीय भाषाओं के रूप में मान्यता देने के कैबिनेट के फैसले के बाद, ज्यादा से ज्यादा लोग इनके बारे में जानने के लिए प्रेरित होंगे. यह वाकई एक खुशी का पल है!“