नई दिल्ली: मिथुन चक्रवर्ती को वर्ष 2022 के दादा साहब फाल्के लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित करने की घोषणा के अपने मायने है. केन्द्रीय सूचना और प्रसारणरेलवे तथा इलेक्ट्रानिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भारतीय सिनेमा के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान के सम्मान में इस पुरस्कार की घोषणा की. केन्द्रीय मंत्री ने फिल्म उद्योग के सबसे लोकप्रिय एवं प्रतिष्ठित हस्तियों में से एक इस अभिनेता को सम्मानित करते हुए बेहद खुशी और गर्व व्यक्त कियाजो अपने बहुमुखी अभिनय और करिश्माई स्क्रीन उपस्थिति के लिए जाने जाते है. मिथुन चक्रवर्तीजिन्हें मिथुन दा के नाम से भी जाना जाता हैप्रतिष्ठित भारतीय अभिनेतानिर्माता और राजनीतिज्ञ हैजो अपनी बहुमुखी भूमिकाओं और विशिष्ट नृत्य शैली के लिए पहचाने जाते है. उन्होंने अपनी फिल्मों में विविध प्रकार की भूमिकाएं निभाई हैजिसमें एक्शन से भरपूर पात्रों से लेकर मार्मिक नाटकीय भूमिकाएं तक शामिल है. केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि मिथुन चक्रवर्ती की एक मामूली शुरुआत करने वाले युवा से लेकर एक प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता बनने तक की यात्राआशा और दृढ़ता की भावना का प्रतीक हैजो यह साबित करती है कि जुनून और समर्पण के साथकोई भी अपने सबसे महत्त्वाकांक्षी सपने को साकार कर सकता है. उनके समर्पण और कड़ी मेहनत ने उन्हें उभरते अभिनेताओं एवं कलाकारों के लिए एक आदर्श बना दिया है.

पश्चिम बंगाल के कोलकाता में 16 जून 1950 को जन्मे गौरांग चक्रवर्ती ने 1976 में अपनी पहली ही फिल्म ‘मृगया‘ के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार हासिल किया. प्रतिष्ठित भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान के पूर्व छात्र रहे मिथुन चक्रवर्ती ने अपनी कला को निखारा और सिनेमा में अपने शानदार करियर की नींव रखी. मृणाल सेन की फिल्म में एक संथाल विद्रोही की उनकी भूमिका ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसा दिलाई. मिथुन ने 1980 के दशक में ‘डिस्को डांसर‘  में अपनी भूमिका से अपार लोकप्रियता हासिल की. इस फिल्म ने भारत और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर असाधारण सफलता पाई और इसने उन्हें नृत्य में पारंगत एक बेहतरीन अभिनेता के रूप में स्थापित कर दिया. वह डिस्को डांसर में अपनी ऐतिहासिक भूमिका के कारण हर घर में एक जाना-पहचाना नाम बन गए. यह एक ऐसी फिल्म थी जिसने न केवल उनके असाधारण नृत्य कौशल का प्रदर्शन कियाबल्कि भारतीय सिनेमा में डिस्को संगीत को भी लोकप्रिय बनाया. ‘अग्निपथ‘ में उनके प्रदर्शन ने उन्हें 1990 में सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का फिल्मफेयर पुरस्कार भी दिलाया. बाद में ताहादेर कथा 1992 और स्वामी विवेकानंद 199) में अपनी भूमिकाओं के लिए उन्हें दो और राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार हासिल हुआ. अपने लंबे करियर में मिथुन ने हिंदीबंगालीओड़ियाभोजपुरी और तेलुगु सहित विभिन्न भारतीय भाषाओं में 350 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया है. वह एक्शन से लेकर ड्रामा एवं कामेडी तक में अपने विविधतापूर्ण अभिनय के लिए जाने जाते है और उन्होंने सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के तीन राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार सहित कई पुरस्कार जीते है.