वर्धा: “हमें इतिहास में भारत की समृद्धि के कितने ही गौरवशाली अध्याय देखने को मिलते हैं. इस समृद्धि का बड़ा आधार क्या था? उसका आधार था, हमारा पारंपरिक कौशल! उस समय का हमारा शिल्प, हमारी इंजीनियरिंग, हमारा विज्ञान!” प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रीय पीएम विश्वकर्मा कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह बात कही. विनोबा भावे की साधनास्थली और महात्मा गांधी की कर्मभूमि वर्धा से इस कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हम दुनिया के सबसे बड़े वस्त्र निर्माता थे. हमारा धातु-विज्ञान, हमारी मेटलर्जी भी विश्व में बेजोड़ थी. उस समय के बने मिट्टी के बर्तनों से लेकर भवनों की डिजाइन का कोई मुकाबला नहीं था. इस ज्ञान-विज्ञान को कौन घर-घर पहुंचाता था? सुतार, लोहार, सोनार, कुम्हार, मूर्तिकार, चर्मकार, बढ़ई-मिस्त्री ऐसे अनेक पेशे, ये भारत की समृद्धि की बुनियाद हुआ करते थे. इसीलिए, गुलामी के समय में अंग्रेजों ने इस स्वदेशी हुनर को समाप्त करने के लिए भी अनेकों साजिशें की. इसलिए ही वर्धा की इसी धरती से गांधी जी ने ग्रामीण उद्योग को बढ़ावा दिया था.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ये देश का दुर्भाग्य रहा कि आजादी के बाद की सरकारों ने इस हुनर को वो सम्मान नहीं दिया, जो दिया जाना चाहिए था. उन सरकारों ने विश्वकर्मा समाज की लगातार उपेक्षा की. जैसे-जैसे हम शिल्प और कौशल का सम्मान करना भूलते गए, भारत प्रगति और आधुनिकता की दौड़ में भी पिछड़ता चला गया. उन्होंने कहा कि आज जो कांग्रेस हम देख रहे हैं, ये वो कांग्रेस नहीं है जिससे कभी महात्मा गांधी जी जैसे महापुरूष जुड़े थे. आज की कांग्रेस में देशभक्ति की आत्मा दम तोड़ चुकी है. आज की कांग्रेस में नफरत का भूत दाखिल हो गया है. उन्होंने कहा कि आप देखिए, आज कांग्रेस के लोगों की भाषा, उनकी बोली, विदेशी धरती पर जाकर उनके देशविरोधी एजेंडे, समाज को तोड़ना, देश को तोड़ने की बात करना, भारतीय संस्कृति और आस्था का अपमान करना, ये वो कांग्रेस है, जिसे टुकड़े-टुकड़े गैंग और अर्बन नक्सल के लोग चला रहे हैं. आज देश की सबसे बेईमान और सबसे भ्रष्ट कोई पार्टी है, तो वो पार्टी कांग्रेस पार्टी है. देश का सबसे भ्रष्ट परिवार कोई है, तो वो कांग्रेस का शाही परिवार है.