भोपाल: “अटल बिहारी वाजपेयी में समाज के प्रति संवेदनशीलता कूट-कूट कर भरी थी. उनकी संवेदना का स्तर इतना गहरा इसलिए था क्योंकि वे राजनेता होने के साथ-साथ साहित्यकार भी थे. जीवन में करुणा, विनम्रता, संवेदना आदि साहित्य के कारण ही आती है.” यह बात साहित्य अकादेमी के अध्यक्ष माधव कौशिक ने कही. वह स्थानीय पंडित सुंदरलाल शर्मा केंद्रीय व्यावसायिक शिक्षण संस्थान में अकादमी एवं अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय भोपाल के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित ‘अटल बिहारी वाजपेयी जन्मशती संगोष्ठी‘ के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे. स्वागत वक्तव्य में साहित्य अकादेमी के सचिव के श्रीनिवासराव ने कहा कि वाजपेयी भारतीय राजनीति में महा जनप्रिय नेता थे. वे राजनीति और साहित्य दोनों विधाओं के धनी थे. वह मानते थे कि व्यक्तित्व का विकास शिक्षा के माध्यम से होता है. शिक्षा का माध्यम मातृभाषा होना चाहिए. विशिष्ट अतिथि गोविन्द मिश्र ने अपने वक्तव्य में सुझाव दिया कि अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर कोई पाठ्यक्रम विश्वविद्यालय में शुरू करें, जिसमें यह पढ़ाया जाए कि लेखक और राजनीतिज्ञ को अपनी ‘कथनी और करनी‘ में अंतर नहीं रखना चाहिए. खेमसिंह डहेरिया ने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी न केवल कुशल राजनीतिज्ञ रहे, बल्कि उनका व्यक्तित्व बहुआयामी रहा है. वाजपेयी ने साहित्य, सामाजिक, राजनीति, संगठन एवं पत्रकारिता में उत्कृष्टता और विशाल हृदय के साथ अपनी भूमिका का निर्वहन किया है. राष्ट्रीयता की उदारता व विश्व व्यापकता के लिए वे जाने जाते हैं. उनका सपना विश्व गुरु एवं अखण्ड भारत का रहा है जो वर्तमान में प्रासंगिक है.
शैलेन्द्र कुमार जैन ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि वाजपेयी का व्यक्तित्व शब्दातीत है. उसे शब्दों में बांधा नहीं जा सकता है. उनका व्यक्तित्व वास्तव में महासागर की तरह विशाल व विराट रहा है. उद्घाटन सत्र के बाद ‘अटल युगीन विश्व और हिंदी‘ विषय पर प्रथम सत्र संपन्न हुआ जिसकी अध्यक्षता अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय भोपाल के संस्थापक कुलपति मोहनलाल छीपा ने की. इस सत्र में दयानंद पांडेय, चंद्रचारू त्रिपाठी, उर्मिला शिरीष ने अपने-अपने आलेख प्रस्तुत किए. दूसरा सत्र ‘भारत की समावेशी संस्कृति के शिल्पी अटल जी‘ विषय पर था जिसकी अध्यक्षता बैधनाथ लाभ ने की और अलका प्रधान ने अपना आलेख प्रस्तुत किया. तृतीय सत्र अटल बिहारी वाजपेयी की पत्रकारिता विषय पर केंद्रित था जिसमें प्रकाश बरतूनिया की अध्यक्षता में विजय मोहन तिवारी एवं संजय द्विवेदी ने अपने आलेख प्रस्तुत किए. दूसरे दिन भी तीन सत्र आयोजित किए गए जिनके विषय थे, ‘भारत की एकात्मता हिंदी और अटल जी‘, ‘राष्ट्र निर्माण में अटल जी का योगदान‘, ‘अटल जी का वैज्ञानिक दृष्टिकोण‘. इन सत्रों की अध्यक्षता क्रमश: मनोज श्रीवास्तव, रामेश्वर मिश्र पंकज एवं संजय तिवारी ने की जिनमें पंकज पाठक, राजीव वर्मा, आनंद सिंह, संजय द्विवेदी, विजय मनोहर तिवारी और दयानंद पांडेय ने अपने विचार व्यक्त किए. धन्यवाद ज्ञापन अकादेमी के उपसचिव देवेंद्र कुमार देवेश द्वारा किया गया.