लखनऊ: “कवि की भाषा देश का भविष्‍य तय करती है दिशा और दशा का निर्धारण करती है. कवि के पास शब्‍दों का प्रभाव होता है जो अपनी कविता के माध्यम से तथ्‍यों को कई तरह से सम्‍प्रेषित कर सकता है.” यह बात पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्‍यसभा सदस्‍य डा दिनेश शर्मा ने ‘कवि कुंभ’ कार्यक्रम के आखिरी दिन कही. उन्होंने कहा कि पहले कवियों द्वारा ऐसी-ऐसी कविताएं लिखी जाती थी जो कि आम-जनमानस को कई दिनों तक गुनगुनाने के लिए मजबूर कर देती थी. कवि चंदबरदाई का उदाहरण देते हुए उन्‍होंने बताया कि चंदबरदाई जैसा भी था जो मोहम्मद गोरी के शब्दों के बाण के लिए पृथ्वीराज चौहान को उद्वेलित करता है और कहता है कि ‘चार बांस, चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण.. ता ऊपर सुल्तान है, मत चूको चौहान.’ शर्मा ने कहा कि वर्तमान कविताओं में ऐसे शब्‍दों का प्रवाह खोता जा रहा है और मनोरंजन के नाम पर निम्‍न कोटि के शब्‍दों ने इसका स्‍थान लेना शुरू कर दिया है. यह खतरा है कवियों के सामने, इसका आपको अपने स्‍तर से किस प्रकार से सामना करना यह आपकी जिम्‍मेदारी है. पिछले जमाने में टेक्‍नोलाजी को खराब माना जाता था लेकिन आज के बदलते परिवेश में टेक्‍नोलाजी हमारे ऊपर हावी हो रही है. इस टेक्‍नोलाजी को हमें समय के अनुसार उपयोग करते हुए इस बदलते परिवेश में बढ़ती हुई विघटनकारी ताकतों के खिलाफ कार्य करते हुए देश की राष्‍ट्रीय एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए कार्य करना होगा.

कवियों का मनोबल बढ़ाते हुए शर्मा ने कहा कि कवि को कविता के लिए शब्‍दों का चुनाव बड़ी ही सावधानीपूर्वक करना चाहिए चाहे वह हास्‍य हों, वीर हों या शृंगार हों. उन्‍होंने कहा कि कवियों को प्राचीन पुरातन परम्पराओं के संरक्षण और अनुरक्षण के साथ उन गाथाओं को भी पिरोये रखना है जिन्होंने शौर्य के माध्‍यम से देश के इतिहास की गणना की है. अवनीश कुमार ने कहा कि कवि किसी भी समाज को दिशा दे सकते हैं. यह सभी कविगण जब कुंभ से पूर्व एक जगह एकत्रित हुए हैं, तो निश्चित ही इनके विचारों के मंथन से जो रचनाएं निकलकर आएंगी वह समाज के लिए अमृत का ही कार्य करेंगी. हमारे समाज का साहित्यिक वर्ग कुंभ पर अभी से चर्चा करना शुरू करेगा और कुंभ के बारे में लिखेगा तो निश्चय ही सनातन संस्कृति के इस महापर्व का कोई भी पहलू अनछुआ नहीं रहेगा. कवि समाज को रास्‍ता दिखाता है. मैंने इतिहास में पढ़ा है कि कुछ राज दरबारों में कवियों का एक पक्ष सत्‍ता की प्रशंसा करता था तथा एक पक्ष बुराई करता था लेकिन उनकी कविताओं में राष्ट्रभक्ति सर्वोपरि रहता था. नवीन पीढ़ी के कवियों से में यही कहना चाहूंगा कि राष्‍ट्र सर्वोपरि है और राष्ट्र सबका है. राज्य के संस्कृति विभाग, हिंदी साहित्य अकादमी और संस्कार भारती ने द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में लगभग 340 कवि-कवयित्रियों ने भाग लिया. कार्यक्रम में पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह, अवनीश कुमार सिंह आदि राजनेता भी आते रहे. इनके अलावा जिलाधिकारी लखनऊ, अभिनेता सुरेन्‍द्र पाल, डा हरिओम पवार, दिलीप कुमार गुप्‍ता, डा सौरभ जैन, डा अनामिका अम्‍बर, मुकुल महान एवं संस्‍कार भारती के राज्य के सह महामंत्री गिरीश चन्‍द्र मिश्र की उपस्थिति रही. कवि कुंभ को प्रयागराज महाकुंभ 2025 का आगाज माना जा रहा है.