वारसा: दशकों तक भारत की नीति थी कि सारे देशों से समान दूरी बनाए रखो. आज के भारत की नीति है, सारे देशों से समान रूप से नजदीकी बनाओ. आज का भारत सबसे जुड़ना चाहता है, आज का भारत सबके विकास की बात करता है, हमारे लिए ये भू-राजनीति का विषय नहीं है, बल्कि संस्कारों का, मूल्यों का विषय है.” पोलैंड में भारतीय सामुदायिक कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यह बात कही. हालांकि इस आयोजन में प्रधानमंत्री ने देश और दुनिया की, विकास और व्यावसाय की, कूटनीति और शांति की ढेर सारी बातें की, पर सांस्कृतिक संबंधों को लेकर कही गई उनकी बात ने सबका दिल जीत लिया. उन्होंने कहा कि जिनको कहीं जगह नहीं मिली, उनको भारत ने अपने दिल और अपनी ज़मीन, दोनों जगह स्थान दिया है. ये हमारी विरासत है, जिस पर हर भारतीय गर्व करता है. आज का भारत सबके साथ है, सबके हित की सोचता है. हमें गर्व है कि आज दुनिया, भारत को विश्वबंधु के रूप में सम्मान दे रही है. पोलैंड तो भारत के इस सनातन भाव का साक्षी रहा है. हमारे जाम साहब को आज भी पोलैंड में हर कोई, दोबरे यानी अच्छा महाराजा के नाम से जानता है. द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान, जब पोलैंड मुश्किलों से घिरा हुआ था, जब पोलैंड की हजारों महिलाएं और बच्चे शरण के लिए जगह-जगह भटकते थे, तब जामसाहब, दिग्विजय सिंह रंजीत सिंह जाडेजा जी आगे आए. उन्होंने पोलिश महिलाओं और बच्चों के लिए एक विशेष कैंप बनवाया था. जाम साहब ने कैंप के पोलिश बच्चों को कहा था, जैसे नवानगर के लोग मुझे बापू कहते हैं, वैसे ही मैं आपका भी बापू हूं.
प्रधानमंत्री ने कहा किमेरा तो जाम साहब के परिवार से काफी मिलना-जुलना रहा है, मुझ पर उनका अपार स्नेह रहा है. कुछ महीने पहले भी मैं वर्तमान जाम साहब से मिलने गया था. उनके कमरे में पोलैंड से जुड़ी एक तस्वीर आज भी है. औऱ मुझे ये देखकर अच्छा लगता है कि जाम साहब के बनाए रास्ते को पोलैंड ने आज भी जीवंत रखा है. दो दशक पहले जब गुजरात में भीषण भूकंप आया था, तो जामनगर भी उसकी चपेट में आ गया था, तब पोलैंड, सबसे पहले मदद के लिए पहुंचने वाले देशों में से एक था. यहां पोलैंड में भी लोगों ने जाम साहब और उनके परिवार को भरपूर सम्मान दिया है. ये प्यार, वॉरसो में गुड महाराजा स्क्वैयर में साफ-साफ दिखता है. कुछ देर पहले मुझे भी दोबरे महाराजा मेमोरियल और कोल्हापुर मेमोरियल के दर्शन का सौभाग्य मिला है. इस अविस्मरणीय घड़ी में, मैं एक जानकारी भी आपको देना चाहता हूं. भारत, जामसाहब मेमोरियल यूथ एक्सचेंज प्रोग्राम शुरू करने जा रहा है. इसके तहत भारत, 20 पोलिश युवाओं को हर साल भारत आने के लिए आमंत्रित करेगा. इससे भारत के बारे में पोलैंड के युवाओं को और ज्यादा जानने का मौका मिलेगा. प्रधानमंत्री ने कहा कि यहां का कोल्हापुर मेमोरियल भी, कोल्हापुर के महान राजघराने के प्रति पोलैंड की जनता का श्रृद्धाभाव है, एक ट्रिब्यूट है. महाराष्ट्राच्या नागरिकांच्या आणि मराठी संस्कृतीच्या प्रति पोलंडच्या नागरिकांनी व्यक्त केलेला हा सन्मान आहे. मराठी संस्कृतीत मानव धर्म आचरणाला सर्वात अधिक प्राधान्य आहे. छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रेरणा से, कोल्हापुर की रॉयल फैमिली ने वलिवडे में पोलैंड की महिलाओं और बच्चों को शरण दी थी. वहां भी एक बहुत बड़ा कैंप बनाया गया था. पोलैंड की महिलाओं और बच्चों को कोई तकलीफ ना हो, इसके लिए महाराष्ट्र के लोगों ने दिन रात एक कर दिया था.