श्रीनगर: चिनार पुस्तक महोत्सव में लगी फोटो प्रदर्शनियां बच्चों और युवाओं को खूब लुभा रही हैं. भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद ने यहां जम्मू, कश्मीर और लद्दाख की सांस्कृतिक विरासत को दर्शाती फोटो प्रदर्शनी लगाई है. करीब 70 पैनलों पर लगी इस फोटो प्रदर्शनी में जम्मू और कश्मीर के इतिहास, विरासत, सभ्यता, संस्कृति, परंपरा, कला, साहित्य, ज्ञान को बड़े ही अनोखे ढंग से दिखाया गया है. आईसीएचआर के अध्यक्ष प्रो रघुवेंद्र तंवर के अनुसार, ”चिनार पुस्तक महोत्सव कश्मीर का पहला सबसे बड़ा, राष्ट्रीय साहित्यिक उत्सव है. नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले की तरह हर वर्ष इसका आकार बढ़ाया जाएगा, नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया के साथ-साथ हम सबकी यह जिम्मेदारी है.” प्रो तंवर ने जम्मू, कश्मीर और लद्दाख की फोटो प्रदर्शनी पर बात करते हुए कहा कि बच्चे और युवा यहां के इतिहास को गहराई से जानने में रुचि ले रहे हैं. यहां उनके लिए तीन हजार वर्ष पुरानी सभ्यता और संस्कृति को भी दर्शाया गया है. जम्मू, कश्मीर और लद्दाख की सांस्कृतिक निरंतरता पर लगाई गई इस फोटो प्रदर्शनी में भारत और विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर के विकास की यात्रा को क्रमबद्ध किया गया है. पुस्तक मेले में पाठकों के लिए एक अनोखा अनुभव है. प्रदर्शनी में महाभारत में भारत की अवधारणा, प्राचीन ग्रंथों में कश्मीर, यहां का आरंभिक जीवन, सिंधु-सरस्वती सभ्यता, जम्मू-कश्मीर में बौद्ध धर्म का आगमन, संस्कृत का मूल उद्गम कश्मीर, यहां की पांडुलिपियों, लद्दाख के स्तूप और मठों, हिंदू धर्म और उनके साक्ष्य, मंदिर वास्तुकला, प्राचीन मंदिर, विद्वानों, पंडितों, राजवंशीय और कलाकारों का कश्मीर प्रवास और यहां मुगल बादशाहों की राजशाही को सिलसिलेवार तरीके से दर्शाया गया है.

इस फोटो प्रदर्शनी में पाठक अंग्रेजी हुकूमत के दौरान जम्मू-कश्मीर और 1947-48 में हुए युद्ध की अनुभूति भी कर पा रहे हैं. यहां 1947-48 युद्ध के नायकों, जिन्हें बाद में परमवीर चक्र, महावीर चक्र और वीर चक्र से सम्मानित किया गया, उन शूरवीरों की कहानी भी यहां पाठक उनकी फोटो के साथ लिखी जानकारी पढ़कर जान रहे हैं. जम्मू और कश्मीर को 1947 से 1953 के मध्य कई बार राजनैतिक उथल-पुथल का सामना करना पड़ा. किस तरह भारत के राजनीतिक दलों का इस क्षेत्र में हस्तक्षेप रहा, इन सब जानकारियों को एक स्थान पर पाठकों के सामने सचित्र प्रदर्शित करने का प्रयास आईसीएचआर ने यहां किया है. केवल इतना ही नहीं, चिनार पुस्तक महोत्सव में बच्चों और युवाओं को राष्ट्रीय ई-पुस्तकालय के बारे में भी बताया जा रहा है. यह अपनी तरह पहला ऐसा मोबाइल ऐप्लिकेशन है जिसमें अलग-अलग आयु वर्ग के बच्चों और युवाओं को पढ़ने के लिए नि:शुल्क ई-पुस्तकें पढ़ने के लिए मिलती हैं. बच्चे और किशोर पंजीकरण की एक छोटी-सी प्रक्रिया अपनाकर देशभर के प्रकाशकों की पुस्तकें पढ़ने का आनंद एक ही मंच पर उठा सकते हैं. इस ऐप्लिकेशन की विशेषता है कि इसमें 23 भाषाओं में पुस्तकें उपलब्ध हैं. इसमें फिक्शन, नान फिक्शन, विज्ञान एवं तकनीकी, भारत के इतिहास, संस्कृति सहित व्यक्तित्व विकास के साथ-साथ और भी कई समसामयिक विषयों की गैर शैक्षणिक पुस्तकें पीडीएफ फार्मेट, ई-पब, आडियो बुक्स के रूप में हैं. बच्चे और किशोर पाठक अपनी आयु के अनुसार, अपनी पसंद के विषय की पुस्तकें कहीं भी, कभी भी और बिना किसी पंजीकरण शुल्क के पढ़ सकते हैं. ऐप में पुस्तकों को चार आयु वर्गों में रखा गया है- 3 से 8 वर्ष, 8 से 11 वर्ष, 11 से 14 वर्ष और 14 से अधिक आयु के पाठकों के लिए पुस्तकें. केवल पुस्तकें पढ़ना ही नहीं, उन पुस्तकों के बारे में लेखक से बातें करना, उनके अनुभव जानना, कहानी-वाचन और अन्य रचनात्मक क्रियाकलापों की लाइव स्ट्रीमिंग के अवसर भी इस ऐप पर पाठकों को दिए गए हैं.