नई दिल्ली: युवा रचनाशीलता को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से रामदरश मिश्र न्यास द्वारा स्थापित प्रथम ‘रामदरश मिश्र शताब्दी सृजन सम्मान’ से हिंदी के युवा कवि राजकुमार श्रेष्ठ को नवाजा गया. श्रेष्ठ को यह पुरस्कार 2023 में प्रकाशित उनके कविता संग्रह ‘ऐसे भी देखिए’ के लिए न्यास के अध्यक्ष शशांक मिश्र द्वारा दिया गया. पुरस्कार की निर्णायक समिति में अशोक चक्रधर, ममता कालिया, सुरेश ऋतुपर्ण, वेद प्रकाश अमिताभ, ओम निश्चल, वेदमित्र शुक्ल और संयोजक के रूप में स्मिता मिश्र शामिल थे. पुरस्कृत संग्रह को बोधि प्रकाशन जयपुर ने प्रकाशित किया है. श्रेष्ठ को पुरस्कार स्वरूप प्रतीक चिह्न, अंग वस्त्र, प्रशस्ति-पत्र और इक्कीस हजार रुपए की मान-राशि दी गई. न्यास की सचिव प्रो मिश्र ने कहा कि राजकुमार श्रेष्ठ की कविताएं सीमित बिंबों से व्यापक परिदृश्य दिखाने वाली और जीवन-सत्यों से जुड़ी, शब्दों का समाहार करती हुई कविताएं हैं, जिनके केंद्र में मनुष्य की अस्मिता है. वे बार-बार अपनी कविताओं में मनुष्यता के मर्म को छूने वाले यथार्थ से टकराते हैं और अपूर्व शब्द संयम का परिचय देते हुए कविता को एक चिंतनपूर्ण इकाई में बदल देते हैं. ये कविताएं मनुष्यता के लिए उपहार की तरह हैं.’
निर्णायक मंडल की सदस्य ममता कालिया ने कहा कि श्रेष्ठ की कविताओं की सबसे विशिष्ट बात यही है कि इनमें विचारों ने कविता के भाव को दबाया नहीं है. ये कविताएं भावात्मक रूप से पाठकों के मन तक पहुंचने में समर्थ हैं. उन्होंने रामदरश मिश्र न्यास को इस शुरुआत के लिए बधाई दी और कहा कि जब तक वरिष्ठ पीढ़ी कनिष्ठ पीढ़ी को थामेगी नहीं तब तक कनिष्ठ पीढ़ी घनिष्ठ नहीं बन पाएगी. याद रहे कि राजधानी दिल्ली में 1987 में जन्मे राजकुमार श्रेष्ठ एक कवि, संपादक, अनुवादक और हिंदी भाषा-साहित्य के प्रसारक के रूप में सक्रिय हैं. विभिन्न राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में उनकी रचनाओं और शोध-पत्रों का प्रकाशन होता रहा है. नेपाली भाषा में भी उनकी पर्याप्त रचनात्मक गति है. संप्रति वे हिंदुस्तानी भाषा भारती पत्रिका के संयुक्त संपादक हैं तथा हिंदुस्तानी भाषा अकादमी से जुड़कर हिंदी को राष्ट्रीय क्षितिज पर प्रतिष्ठित करने के लिए प्रयासरत हैं. कविता राजकुमार श्रेष्ठ के लिए एक जीवित, जाग्रत समाज की संरचना के लिए जरूरी पहल की तरह है, जिसका निर्वाह वे बहुत सलीके से और लंबे समय से कर रहे हैं.