कुम्हारी: छत्तीसगढ़ के चर्चित साहित्यकार तिलक परगनिया को स्थानीय रचनाकारों ने बेहद शिद्दत से याद किया. इलाके के साहित्यसेवी गांव सुरजीडीह में प्रति वर्ष भी साहित्यकार तिलक परगनिया की पुण्यतिथि पर कार्यक्रम होता है. इस वर्ष परगनिया की 27वीं पुण्यतिथि पर कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया. कवि सम्मेलन में ऋतंभरा साहित्य समिति कुम्हारी के अलावा दुर्ग, भिलाई एवं रायपुर से पधारे कवियों ने अपनी रचनाओं का पाठ किया. सर्वप्रथम मन्नूलाल परगनिहा ने तिलक परगनिया के तैल चित्र पर माल्यार्पण किया. फिर दीप प्रज्वलन व पुष्पांजलि अर्पित करने के पश्चात चिंतामणि साहू द्वारा प्रस्तुत मां सरस्वती की वंदना के साथ कवि सम्मेलन की शुरुआत हुई. सम्मेलन में उपस्थित कवियों ने अपनी अपनी मौलिक रचना के साथ तिलक पगनिया के लिखे कविता संग्रह ‘शिलालेख‘ पर अपने विचार प्रकट किए.
डा परदेशी राम वर्मा एवं महेश वर्मा ने तिलक की लेखनी पर प्रकाश डाला, मन्नूलाल परगनिहा ने कहा कि तिलक के जाने के बाद विगत 27 वर्षों से आज ही के दिन उन्हें याद कर यह आयोजन किया जाता, जो अनवरत चल रहा है. सभी ने दो मिनट का मौन धारण कर तिलक परगनिया को श्रद्धांजलि दी. इसके पश्चात सभी रचनाकारों ने अपनी रचनाओं का पाठ किया. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार डा परदेशी राम वर्मा, विशेष अतिथि ब्रजेश मलिक और महेश वर्मा थे.अध्यक्षता नारायण वर्मा एवं संचालन डा वीणासिंग रागी ने किया. कार्यक्रम में ओमवीर करण, बैकुंठ महानंद, छगन सोनी, बिंधराज कांटामांजी, लखन लाल साहू, नूरू सबा, फरीदा शाहीन भिलाई, चिंतामणि साहू, रघुनाथ देशमुख, बिसरूराम कुर्रे, जगन्नाथ निषाद, नंदलाल यादव, भूपेंद्र साहू, हेमलाल निर्मोही, डा नीलकंठ देवांगन, कामता दिवाकर, रोहित निषाद, सुनीता परगनिया, सरिता बघेल, मीना वर्मा, बीणा बंछोर आदि ने अपनी रचनाओं का पाठ किया.