नई दिल्ली: भारत सरकार देश में ग्रंथालयों, पुस्तकालयों और वाचनालयों की स्थिति सुदृढ़ करने के लिए कृतसंकल्पित है. इस आशय की जानकारी केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत द्वारा लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी. उन्होंने बताया कि भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची के अनुसार पुस्तकालय एक राज्य का विषय है और सार्वजनिक पुस्तकालय संबंधित राज्य, केंद्र शासित प्रदेश प्राधिकरणों के प्रशासनिक नियंत्रण के अंतर्गत कार्य करते हैं. इसलिए पुस्तकालयों की स्थापना राष्ट्रीय पुस्तकालय मिशन, संस्कृति मंत्रालय के नियंत्रण में नहीं आती है. हालांकि, राजा राममोहन राय लाइब्रेरी फाउंडेशन, संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत एक स्वायत्त निकाय, अपनी मिलान और गैर-मिलान योजनाओं के माध्यम से सार्वजनिक पुस्तकालयों को उनके विकास के उद्देश्य से वित्तीय सहायता प्रदान करता है. उपरोक्त योजना के अंतर्गत तमिलनाडु सहित देश भर में राजा राममोहन राय लाइब्रेरी फाउंडेशन कोलकाता द्वारा वर्ष 2019 से 2024 के दौरान विभिन्न योजनाओं के तहत सार्वजनिक पुस्तकालयों को जो वित्तीय सहायता प्रदान की गई सरकार ने उसकी भी जानकारी सदन में दी.
मंत्री द्वारा गई जानकारी के मुताबिक राजा राममोहन राय लाइब्रेरी फाउंडेशन ने क्रमशः वर्ष 2019-20 में 2312.29 लाख रुपए; वर्ष 2020-21 में 1478.17 लाख रुपए; वर्ष 2021-22 में 1558.82 लाख रुपए; वर्ष 2022-23 में 2107.22 लाख रुपए और वर्ष 2023-24 में 2107.22 लाख रुपए की सहायता राशि दी. मंत्री ने यह भी बताया कि देश में इस समय 46746 पुस्तकालय हैं. जिनमें सबसे अधिक सार्वजनिक पुस्तकालय महाराष्ट्र राज्य में हैं, जिनकी गिनती 12191 है, और सबसे कम, केवल 2 सार्वजनिक पुस्तकालय दमन और दीव में हैं. वर्ष 2019 से 2024 के दौरान राजा राममोहन राय लाइब्रेरी फाउंडेशन की आधुनिकीकरण योजना के अंतर्गत जितने सार्वजनिक पुस्तकालयों को सहायता प्रदान की गई, उनकी संख्या क्रमशः वर्ष 2019-20 में 20; वर्ष 2020-21 में 439; वर्ष 2021-22 में 27; वर्ष 2022-23 में 418 और वर्ष 2023-24 में 662 थी. इसके अलावा संस्कृति मंत्रालय द्वारा मान्यता प्राप्त पुस्तकालयों को राष्ट्रीय पुस्तकालय मिशन माडल पुस्तकालय की स्थापना के अंतर्गत 2867.97 लाख रुपए की वित्तीय सहायता स्वीकृत की गई और 1352.01 लाख रुपए की राशि प्रदान की गई.