नई दिल्ली: राष्ट्रीय पुस्तक न्यासभारत के 68वें स्थापना दिवस के अवसर पर राजधानी स्थित न्यास मुख्यालय के सभागार में ‘पुस्तकें एवं पठन अवधारणा- एक ऐतिहासिक महत्त्व‘ विषयक व्याख्यान का आयोजन हुआ. कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित इतिहासकार डा मीनाक्षी जैन ने शिरकत है. न्यास के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को बधाई दी और कहा कि विज्ञान होमहिलाओं पर होंआदिवासी होंकोई समाज का ऐसा क्षेत्र अथवा विषय नहीं हैजिस पर एनबीटीइंडिया ने अग्रणी पुस्तकें न लिखी हों. राष्ट्र-निर्माण के लिए पुस्तकें हर विषय परसमाज के हर वर्ग के लिए उपलब्ध होंउसमें एनबीटी का बहुत बड़ा योगदान रहा है. डा मीनाक्षी जैन ने भारत की शिक्षा परंपरागुरु-शिष्य परंपरा और लिपि विकास पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भारत में पढ़ने-लिखने की परंपरा सदियों से चली आ रही है और विश्व ने भारत की सभ्यतासंस्कृति और विचारों को अपने यहां की शिक्षा पद्धति में शामिल करने का हमेशा से प्रयास किया है. हमें इस बात पर गर्व होना चाहिए कि पीढ़ी-दर-पीढ़ी हमारे यहां ज्ञान का संचार एवं संरक्षण होता रहा है.

कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि और राष्ट्रीय पुस्तक न्यास बोर्ड के सदस्य राजेश पांडे ने लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक और लेखक अन्ना भाऊ साठे के साहित्यगीतों और अन्य लेखन के जरिये समाज में जागरूकता फैलाने के योगदान को याद किया. उन्होंने कहा कि एनबीटीइंडिया केवल संस्थान नहीं हैयह एक आंदोलन है जो भारत की ज्ञानपरंपरा और संस्कृति को विश्वभर में ले जाने का काम कर रहा है. यदि एनबीटी बढ़ेगा तो देश के विचार और संस्कृति हर व्यक्ति तक पहुंचेगी. कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे एनबीटीइंडिया के अध्यक्ष प्रोफेसर मिलिंद सुधाकर मराठे ने कहा कि विचार व्यक्ति और समाज को बदलने का माध्यम है. एनबीटीइंडिया का लक्ष्य है कि हर हाथ में किताब पहुंचेजो काम हम पिछले 68 वर्षों से सफलतापूर्वक करते आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि एनबीटी के हर कर्मचारी का उद्देश्य पुस्तकों के माध्यम से हर व्यक्ति के जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित करना होना चाहिए. नेशनल बुक ट्रस्ट के निदेशक युवराज मलिक ने एनबीटी की विगत वर्ष की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए कहा कि आज एनबीटी पूरे देश में उत्तम और प्रमाणित पुस्तकें उपलब्ध करवाने वाली मानक एवं प्रगतिशील संस्था के रूप में जानी जाती है. एनबीटी ने पुस्तकों के जरिये बहुभाषावाद को बढ़ावा दिया है और विगत वर्ष में लगभग 10 करोड़ पाठकों तक 60 से अधिक भाषाओं में पुस्तकें पहुंचाई हैं. कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रीय पुस्तक न्यासभारत ने कर्मियों को स्थापना दिवस उत्कृष्टता पुरस्कार देने की परंपरा की भी शुरुआत की.