नई दिल्ली: “जीवन की स्थिरता दुनिया भर में बढ़ती चिंता का विषय है. यह कान्क्लेव हमारे पूर्वजों से विरासत में मिले ज्ञान और प्रथाओं के महत्त्व और मूल्य के बारे में अगली पीढ़ी के युवाओं के बीच जागरूकता लाने के लिए एक मंच प्रदान करता है.” यह बात राजधानी में ‘स्थायी आजीविका के लिए पारंपरिक ज्ञान’ पर पहले विज्ञान प्रौद्योगिकी पहल सम्मेलन को संबोधित करते हुए अनुसंधान विभाग की सचिव डा एन कलैसेल्वी ने कही. डा कलैसेल्वी ने कहा कि आधुनिकता हमेशा हमारे पारंपरिक ज्ञान के बुनियादी सिद्धांतों से जुड़ी होती है और यह कान्क्लेव परंपराओं और आधुनिक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को एक साथ लाने के महत्त्व को सही ढंग से बढ़ावा देता है. संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन ‘यूनेस्को’ के तत्वावधान में दक्षिण-दक्षिण सहयोग के लिए अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार केंद्र ‘इंटरनेशनल साइंस टेक्नोलाजी इनिशिएटिव सेंटर-आईएसटी आईसी’, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद ‘सीएसआईआई’ नई दिल्ली के घटकों, पारंपरिक ज्ञान डिजिटल लाइब्रेरी एकक तथा सीएसआईआर-इंडियन इंस्टीट्यूट आफ केमिकल टेक्नोलाजी हैदराबाद ने संयुक्त रूप से राजधानी में 29-31 जुलाई के बीच इस सम्मेलन का आयोजन किया था. इस कान्क्लेव के विशिष्ट अतिथि सीएसआईआर-आईआईसीटी, हैदराबाद के निदेशक डा डी श्रीनिवास रेड्डी और नई दिल्ली में यूनेस्को प्राकृतिक विज्ञान विशेषज्ञ डा बेन्नो बोअर थे. पूर्ण व्याख्यान ट्रांस-डिसिप्लिनरी यूनिवर्सिटी बेंगलुरु के संस्थापक और कुलपति प्रोफेसर अनंत दर्शन शंकर ने दिया.
तीन दिवसीय इस सम्मेलन में दक्षिण-दक्षिण सहयोग के अलावा जैव विविधता, पारंपरिक सांस्कृतिक अभिव्यक्ति, एकीकृत स्वास्थ्य और अनुसंधान, परम्परागत ज्ञान आईपीआर और संबंधित मामलों पर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय नीतियों जैसे विभिन्न विषयों पर भारत के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित वक्ता शामिल हुए हैं. आईएसटीआईसी -यूनेस्को टीम का नेतृत्व प्रशासनिक परिषद के अध्यक्ष प्रो मोहम्मद बसयारुद्दीन अब्दुल रहमान और संगठन के निदेशक डा शारिजाद दहलान ने किया. सीएसआईआर की ओर से, सीएसआईआर-टीकेडीएल यूनिट के प्रमुख डा विश्वजननी जे सत्तीगेरी और सीएसआईआर-आईआईसीटी के मुख्य वैज्ञानिक डा डी शैलजा ने भारत में कान्क्लेव के आयोजन के प्रयासों का नेतृत्व किया. सीएसआईआर-आईआईसीटी के निदेशक डा श्रीनिवास रेड्डी ने सभी के लिए स्वास्थ्य देखभाल को संबोधित करने के लिए प्रभावी उपकरण के रूप में पारंपरिक दवाओं और आधुनिक एस एंड टी हस्तक्षेपों के सत्यापन, नवाचार और एकीकरण से संबंधित सीएसआईआर की गतिविधियों पर प्रकाश डाला. डा बेन्नो बोअर ने शिक्षा, विज्ञान और संस्कृति के माध्यम से स्थिरता के तीन महत्त्वपूर्ण पहलुओं पर विस्तार से बताया और कहा कि कैसे यूनेस्को लोगों और इस ग्रह को सशक्त बनाने के लिए सहयोग और सहभागिता लेकर आता है. उन्होंने कहा कि टिकाऊ जीवन जीने के लिए प्रकृति का सम्मान करना और उसके साथ सामंजस्य बनाकर रहना महत्त्वपूर्ण है. उन्होंने जैव विविधता क्षेत्रों और लिंक्स कार्यक्रमों से संबंधित यूनेस्को के ऐसे प्लेटफार्मों के बारे में भी बात की, जो प्रकृति और इस प्रकार आजीविका के संरक्षण के लिए स्थानीय ज्ञान प्रणालियों के अर्थ को तलाशने और समझने की आवश्यकता को दोहराते हैं. कान्क्लेव के प्रतिभागी इंडोनेशिया, फिलीपींस, नेपाल, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, केन्या, मलेशिया और भारत से हैं. कान्क्लेव का उद्देश्य विशेष रूप से स्थानीय ज्ञान प्रणालियों के माध्यम से टिकाऊ जीवन के माध्यम से.सहयोगात्मक शिक्षण माडल में संलग्न होने के महत्त्व पर जोर देना और क्षेत्र की विकास चुनौतियों को संबोधित करने के लिए भागीदारी और सहयोग के माध्यम से साझेदारी और नेटवर्क का विस्तार करना है.