नई दिल्ली: “युवाओं को दी जाने वाली शिक्षा में आधुनिक वैज्ञानिक ज्ञान को पारंपरिक भारतीय मूल्यों के साथ जोड़ा जाना चाहिए. शिक्षा सबसे प्रभावशाली परिवर्तनकारी उपाय है, जो समानता लाता है तथा असमानताओं को रोकता और खत्म करता है.” ये बातें उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कालेज के 77वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए कही. उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि युवाओं को अपने दायरे से बाहर निकलकर सामान्य अवसरों से परे देखने की जरूरत है. कोचिंग और शिक्षा का व्यावसायीकरण किसी भी राष्ट्र के विकास में बाधक है. संसद में व्यवधान और गड़बड़ी को हथियार के रूप में इस्तेमाल करने पर चिंता व्यक्त करते हुए धनखड़ ने युवाओं से इन गतिविधियों पर ध्यान देने और हमेशा अपने विवेक, सत्य एवं राष्ट्रवाद का पक्ष लेने का आग्रह किया. उन्होंने जोर देकर कहा कि संसद बहस, विचार-विमर्श और चर्चा के लिए एक जगह है. वेल में आकर नारेबाजी और अनुशासनहीनता को हतोत्साहित किया जाना चाहिए. भारत की आर्थिक यात्रा का वर्णन करते हुए धनखड़ ने देश में उल्लेखनीय विकास को रेखांकित किया और युवाओं से सरकारी नौकरियों से परे देखने के लिए कहा. उन्होंने कहा कि आज देश में एक सक्षम इकोसिस्टम है, जहां हर कोई अपनी क्षमता का लाभ उठा सकता है और अपनी आकांक्षाओं को पूरा कर सकता है.
स्वरोजगार के नए दृष्टिकोण और अवसरों की सराहना करते हुए धनखड़ ने युवाओं को आज सरकार के रोजगार विकल्पों, कौशल संवर्धन और उन्नयन नीतियों के बारे में जागरूक होने की आवश्यकता को रेखांकित किया. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हरित हाइड्रोजन, अंतरिक्ष विज्ञान, कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसी आधुनिक व परिदृश्य को बदलने में सक्षम प्रौद्योगिकियां युवाओं को अवसर प्रदान करती हैं और चुनौतियां पेश करती हैं. युवाओं को इन प्रौद्योगिकियों द्वारा पेश की जा रही विशाल रोजगार क्षमता का एहसास होना चाहिए. धनखड़ ने 21वीं सदी की उभरती जरूरतों को पूरा करने के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि हमारे युवाओं में आलोचनात्मक सोच, समस्या-समाधान और उद्यमशीलता कौशल का पोषण करना आवश्यक है, जिससे उन्हें आधुनिक दुनिया की जटिलताओं को समझने व सफल होने की क्षमता मिल सके. युवाओं को शासन में सबसे महत्त्वपूर्ण हितधारक बताते हुए धनखड़ ने युवा पीढ़ी से उपलब्ध डिजिटल प्लेटफार्म और सोशल मीडिया टूल के माध्यम से अपनी आवाज बुलंद करने का आग्रह किया. युवाओं को ज्वलंत मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ानी चाहिए और समुदायों को एक साझा दृष्टिकोण की ओर प्रेरित करना चाहिए. यथास्थिति को चुनौती देने और सामाजिक परिवर्तनों को गति देने की युवाओं की क्षमता को रेखांकित करते हुए धनखड़ ने युवाओं से सकारात्मक राष्ट्रवादी भूमिका निभाने और भारत के विकास मूल्यों के साथ प्रतिध्वनित होने वाले कारणों का समर्थन करने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि युवाओं को नवाचार की संस्कृति को प्रोत्साहित करना चाहिए, जो उनकी अंतर्निहित उद्यमशीलता की भावना को दर्शाते हैं.