नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से डा आर बालासुब्रमण्यम ने मुलाकात कर उन्हें अपनी पुस्तक ‘पावर विदिन: द लीडरशिप लिगेसी आफ नरेन्द्र मोदी’ की एक प्रति भेंट की और प्रधानमंत्री से उस पर हस्ताक्षर प्राप्त किए. इस पुस्तक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व का, उनकी प्रशासनिक निर्णयों, राजनीतिक सफर का वर्णन किया गया है. पुस्तक में प्रधानमंत्री की इस यात्रा की पश्चिमी और भारतीयता के दृष्टिकोण की व्याख्या की गई है. साथ ही इन दोनों को मिलाकर उन लोगों के लिए एक रोडमैप प्रदान किया गया है, जो सार्वजनिक सेवा के जीवन में सफलता की आकांक्षा रखते हैं. डा आर बालासुब्रमण्यम द्वारा सोशलमीडिया की एक पोस्ट के जवाब में प्रधानमंत्री मोदी ने लिखा,’आज सुबह डा आर. बालासुब्रमण्यम से मिलकर बहुत खुशी हुई. उनकी पुस्तक की एक प्रति पर हस्ताक्षर भी किए. उनके भविष्य के प्रयासों के लिए मेरी शुभकामनाएं.’
याद रहे कि यह पुस्तक किसी भी पहले पश्चिमी-नेतृत्व के विचार को परखती है; जो ‘नेता होने’ के महत्त्व पर जोर देता है. भारतीय नेतृत्व इसके विपरीत है- यह ‘नेतृत्व के अभ्यास’ पर केंद्रित है. पावर विदिन इस अभ्यास पर आत्मनिरीक्षण करता है क्योंकि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जीवंत अनुभव के माध्यम से भारत के सभ्यतागत ज्ञान को दर्शाता है. यह पुस्तक उनके पचास वर्षों के सार्वजनिक जीवन पर प्रकाश डालती है और बताती है कि उन्होंने अपने उद्देश्य की खोज कैसे की, जिसके बीज उनके प्रारंभिक वर्षों में ही बो दिए गए थे. उनके सहयोगियों के मार्मिक किस्से इस बात पर प्रकाश डालते हैं कि कैसे उनकी अथक मेहनत और संवादात्मक दृष्टिकोण ने उन्हें प्रधानमंत्री पद तक पहुंचाया. वे दूसरों की सेवा में आत्म-खोज की उनकी निरंतर खोज को भी रेखांकित करते हैं. आर. बालासुब्रमण्यम ने सावधानीपूर्वक तैयार की गई कहानी में मोदी की नेतृत्व यात्रा को दर्शाया है.