नई दिल्ली: साहित्य अकादेमी ने ‘साहित्य मंच’ कार्यक्रम के तहत प्रसिद्ध लेखक और चिंतक मोहनदास नैमिषराय के व्याख्यान का आयोजन किया. व्याख्यान का विषय था ‘हिंदी साहित्य और बौद्ध दर्शन’. मोहनदास नैमिषराय ने विस्तार से हिंदी साहित्यकारों और दलित साहित्यकारों द्वारा लिखे गए ऐसे साहित्य का विवरण दिया, जो बौद्ध धर्म एवं दर्शन से प्रभावित थे. उन्होंने कहा कि मेरे मत में बौद्ध धर्म सबसे पुराना वैश्विक धर्म है. बौद्ध धर्म के प्रभाव के बाद ही दलित साहित्य का मूल स्वर विद्रोही बना. उन्होंने सबसे पहली लेखिकाओं के तौर पर थेरी महिलाओं का उल्लेख करते हुए उनकी गाथाओं को संदर्भित किया और बताया कि यह उत्पीड़न के खिलाफ पहली आवाज थी.
नैमिषराय ने सरहपा, कबीर, रविदास, कश्मीर की ललद्यद आदि का उल्लेख करते हुए आधुनिक समय में भदंत आनंद कौशल्यायन, राहुल सांकृत्यायन, जैनेंद्र कुमार, रामवृक्ष बेनीपुरी, उदयशंकर भट्ट, रांगेय राघव आदि का जिक्र किया. उन्होंने वर्तमान समय के दलित साहित्यकारों में चंद्रिका प्रसाद जिज्ञासु, रामस्वरूप वर्मा, जयप्रकाश कर्दम, लक्ष्मीनारायण सुधाकर, प्रबोधनारायण बौद्ध, शील बोधि, मुकेश मानस आदि कई अन्य लेखकों को संदर्भित किया. कार्यक्रम के अंत में उन्होंने उपस्थित श्रोताओं के प्रश्नों के उत्तर देते हुए कहा कि यह विषय अपने आप में बहुत बड़ा है और इस पर विस्तार से काम करने की अनेकों संभावनाएं हैं. कार्यक्रम का संचालन और अंत में धन्यवाद ज्ञापन अकादेमी के उपसचिव देवेंद्र कुमार देवेश ने किया.