जमशेदपुरः साहित्यकार बाल कृष्णभट्ट की जयंती के अवसर पर बिहार में कई आयोजन हुए. फारबिसगंज में इंद्रधनुष साहित्य परिषद ने स्थानीय प्रोफेसर कालोनी में एक कार्यक्रम में बाल कृष्णभट्ट को याद किया. इस मौके पर आयोजित समारोह की अध्यक्षता साहित्यकार मांगन मिश्र ‘मार्तंड‘ ने किया. संचालन अस्मित राज ने किया. सर्वप्रथम ‘भट्ट‘ की तस्वीर पर श्रद्धासुमन अर्पित किया गया. इस मौके पर हेमंत यादव, निशा पाठक, हरिनंदन मेहता, सुरेन्द्र प्रसाद मंडल, सुनील दास, हर्ष नारायण दास, विनोद कुमार तिवारी आदि ने कहा कि हिंदी साहित्यकार, निबंधकार एवं पत्रकार बालकृष्ण भट्ट का जन्म इलाहाबाद में 03 जून 1844 ई. को हुआ था. उन्हें गद्य प्रधान कविता का जनक माना जाता है. वे एक ऐसे निबंधकार थे. जिन्होंने आत्मपरक शैली का प्रयोग किया था. वे भारतेन्दु युग के साहित्यकार थे और अपनी रचनाओं में शुद्ध हिंदी का प्रयोग करते थे. उन्होंने 32 वर्षों तक हिंदी ‘प्रदीप‘ का संपादन किया और 300 से अधिक निबंध लिखे. इसके अतिरिक्त उन्होंने उपन्यास, नाटक और कहानियां भी लिखी. उनकी कृतियों में ‘साहित्य सुमन‘, ‘भट्ट निबंधावली‘, ‘सौ अजान एक सुजान‘, ‘चंद्रसेन‘, ‘स्वयंवर‘, ‘पद्मावती‘ आदि प्रमुख है. उनका निधन 20 जुलाई, 1914 ई को हुआ. इस अवसर पर रानीगंज थानाक्षेत्र के मधुलता गांव निवासी कृषक जयकृष्ण मेहता की पुत्री व छात्रा अमिषा राज को विभिन्न देवी-देवताओं, पशु-पक्षियों, वृक्षों के दर्जनों उत्कृष्ट चित्रकारी के लिए पाठ्य सामग्री आदि प्रदान कर ‘अमृता शेरगिल सम्मान‘ से सम्मानित किया गया. इस अवसर पर शिवराम साह, दिनेश कुमार ठाकुर, अरविंद ठाकुर, राम प्रसाद सिंह, शिवनारायण चौधरी, रिया रानी आदि मौजूद थे.
उधर जमशेदपुर में साहित्य समिति तुलसी भवन द्वारा संस्थान के प्रयाग कक्ष में बालकृष्ण भट्ट की जयंती कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्थान के अध्यक्ष सुभाष चन्द्र मुनका तथा संचालन समिति की सदस्य रीना सिन्हा ‘सलोनी‘ ने किया. इस अवसर पर स्वागत वक्तव्य तुलसी भवन के मानद महासचिव डा प्रसेनजित तिवारी एवं धन्यवाद ज्ञापन समिति की पूनम महानंद ने किया. कार्यक्रम का आरंभ दीप प्रज्वलन एवं पुष्पार्पण कर किया गया. डा वीणा पाण्डेय भारती के सरस्वती वंदना के बाद ब्रजेन्द्रनाथ मिश्र द्वारा साहित्यकार बालकृष्ण भट्ट का साहित्यिक जीवन परिचय प्रस्तुत किया गया. कार्यक्रम के अगले सत्र में ‘काव्य कलश‘ के अन्तर्गत उपस्थित शहर के 28 नामचीन कवियों ने स्वरचित काव्य पाठ किया. जिनमें डा रागिनी भूषण, जयश्री शिव कुमार, वसंत जमशेदपुरी, नीता सागर चौधरी, वीणा कुमारी नंदिनी, डा यमुना तिवारी ‘व्यथित‘, अनिता निधि, माधुरी मिश्रा, डा वीणा पाण्डेय ‘भारती‘, पूनम महानंद, रीना सिन्हा ‘सलोनी‘, बलबिन्दर सिंह, सुरेश चन्द्र झा, भंजदेव देवेन्द्र कुमार ‘व्यथित‘, ब्रजेन्द्र नाथ मिश्र, कैलाश नाथ शर्मा ‘गाजीपुरी‘, डा संजय पाठक ‘सनेही‘, चंदा कुमारी, शेषनाथ सिंह ‘शरद‘, डा उदय प्रताप हयात, अनुराग अग्निहोत्री, उषा झा, शिव कुमार तथा विमल किशोर विमल प्रमुख रहे. जबकि संस्थान के न्यासी अरुण कुमार तिवारी, उपाध्यक्ष रामनन्दन प्रसाद, कार्यकारिणी के प्रसन्न वदन मेहता एवं साहित्य समिति के सचिव डा अजय कुमार ओझा उपस्थित थे. कार्यक्रम के अंत में साहित्य समिति के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष श्रीराम पाण्डेय ‘भार्गव‘ के निधन पर गहरा शोक प्रकट करते हुए उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की गई.