बठिंडा: पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय बठिंडा के हिंदी विभाग ने ‘लेखक से संवाद‘ कार्यक्रम का आयोजन किया. विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य राघवेन्द्र प्रसाद तिवारी के संरक्षण में आयोजित इस कार्यक्रम में समकालीन हिंदी कथा साहित्य के विख्यात लेखक एसआर हरनोट से संवाद हुआ. इस अवसर पर हिंदी विभाग ने उन्हें सम्मानित भी किया. कार्यक्रम के संयोजक डा राजेंद्र कुमार सेन ने परिचय देते हुए कहा कि हिंदी में ‘हिडिम्ब‘ और ‘नदी रंग जैसी लड़की‘ जैसे विख्यात उपन्यासों और दारोश, जीनकाठी, हक्वाई, आभी, नदी गायब है, लोग नहीं जानते थे कि उनके पहाड़ खतरे में हैं, लिटन ब्लाक गिर रहा है, मिट्टी के लोग, बिल्लियां बतियाती है, मां पढ़ती है, भागादेवी का चायघर तथा कीलें जैसी अनेक चर्चित कहानियों के रचनाकार हरनोट समकालीन हिंदी कथा लेखन में अपना विशिष्ट स्थान रखते हैं. इनके कथा साहित्य पर देश के विविध विश्वविद्यालयों में अनेक शोधकार्य हो चुके हैं और अनेक शोध हो रहे हैं. डा सेन ने कहा कि कई साहित्य पुरस्कारों से सम्मानित हरनोट की कहानियों का विविध भारतीय और विदेशी भाषाओं में अनुवाद हुआ है. कई कहानियों पर फिल्में बन चुकी हैं. गुरुप्रीत विश्वविद्यालय तलवंडी साबो से जहां एक शोध छात्र पीएचडी कर चुकी है वहीं केंद्रीय विश्वविद्यालय में उनकी कहानियों पर चार छात्र शोध प्रबंध लिख चुके हैं और एक छात्रा पीएचडी शोध कर रही है.
डा सेन ने बताया कि पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय बठिंडा में एमए और पीएचडी में उनकी दो कहानियां हकवायी और पत्थर का खेल पाठ्यक्रम का हिस्सा हैं. संवाद के दौरान हरनोट ने अपनी कहानियों की पृष्ठभूमि पर बात करते हुए अपनी रचना प्रक्रिया पर विस्तार से बताया. उन्होंने विद्यार्थियों को कहानी लेखन के लिए प्रेरित किया. हरनोट ने अपनी कहानी आभी, दारोश, कीलें, नदी रंग जैसी लड़की, हिडिम्ब आदि के विषय चयन की प्रक्रिया और रचना प्रक्रिया पर चर्चा करते हुए बताया कि इन रचनाओं का समाज पर किस प्रकार प्रभाव पड़ा. हरनोट ने लेखन के लिए रचनाधर्मिता के साथ-साथ लेखक की सामाजिक प्रतिबद्धता पर बात करते हुए समाज के प्रति जिम्मेदारी के भाव के निर्वहन पर भी बल दिया. इसके उपरांत छात्रों ने लेखक से अनेक प्रश्न किये जिनका उत्तर देकर हरनोट ने शोधार्थियों को शोध के नवीन आयाम प्रस्तुत किये. कार्यक्रम के उपरांत लेखक की कहानी ‘कीलें‘ पर आधारित एक विशेष फिल्म ‘कील‘ भी दिखाई गयी जिसके निर्माता निर्देशक युवा अभिनेता आर्यन हरनोट हैं. कार्यक्रम के आरम्भ में डा राजकुमार उपाध्याय, सह आचार्य ने औपचारिक अभिनंदन करते हुए लेखक का परिचय प्रस्तुत किया वहीं विभागाध्यक्ष प्रोफेसर राजेन्द्र सेन ने अध्यक्षीय उद्बोधन में हरनोट के साहित्य के विविध सरोकारों पर प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि हरनोट एक सजग लेखक हैं, जिन्होंने अपने आस-पास के माहौल के प्रति अपने संवेदनशीलता का परिचय दिया है और इस युग के मुद्दों को अपनी रचनाओं में उठाया है. हिमाचल की लोक संस्कृति को सूक्ष्मता से उजागर किया है और पर्वतीय क्षेत्रों में पर्यावरण प्रदूषण की बढ़ती हुई समस्या को भी अपनी रचनाओं में उजागर किया है. पर्वतीय क्षेत्रों में स्त्रियों के संघर्ष और वंचित समाज की स्थितियों को उजागर किया है. अंत में उन्होंने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया. इस कार्यक्रम में डा दीपक कुमार पाण्डेय, डा अमित कुमार सिंह कुशवाहा, डा समीर, डा विनोद आर्य तथा विभाग के शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित थे.