देहरादून: “भारत की 5000 साल की सांस्कृतिक विरासत दुनिया में बेमिसाल है और आज की वैश्विक समस्याओं के समाधान में भारतीय संस्कृति एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है.” यह बात उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कैंची धाम की यात्रा के दौरान कही. भारत की उत्कृष्ट सांस्कृतिक विरासत की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि इस पवित्र जगह पर आकर मन में एक नई ऊर्जा का संचार हुआ है और राष्ट्र के प्रति समर्पण की भावना में बढ़ोतरी हुई है. उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और डा सुदेश धनखड़ ने आज उत्तराखंड के नैनीताल जिले में कैंची धाम में बाबा नीब करौरी महाराज दर्शन किए और आश्रमवासियों के साथ समय व्यतीत किया.
दर्शन के उपरांत उपराष्ट्रपति ने कहा कि हिमालय की सुरम्य, शांत पर्वत श्रेणी के बीच विराजमान दिव्य कैंची धाम के दर्शन कर मन अभिभूत है! उन्होंने कहा कि नीब करौरी महाराज के आश्रम की आध्यात्मिक ऊर्जा से तन-मन में एक सकारात्मक शक्ति का प्रवाह हुआ, जो कि एक अद्वितीय अनुभव है. प्रभु से प्रार्थना है कि सबको सुखी, समृद्ध और संपन्न करें. धनखड़ ने कहा कि इस जगह आकर उन्हें धार्मिकता, उदात्तता और आध्यात्मिकता के संगम का आभास हुआ है. उन्होंने जोर देते हुए कहा कि यह वह जगह है जहां ऐसे महापुरुष हुए हैं जिनके द्वारा निर्धारित उच्चतम सिद्धांत सभी के लिए अनुकरणीय हैं. इससे पूर्व हल्द्वानी आगमन पर उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल रिटायर्ड गुरमीत सिंह एवं उत्तराखंड सरकार के मंत्री गणेश जोशी ने उनका स्वागत किया.