लखनऊ: नगर की साहित्यिक संस्था युगधारा फाउंडेशन और मुक्तक लोक संपूर्ण हिंदी साहित्यांगन के संयुक्त तत्वावधान में एक दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन हुआ. इस दौरान देश भर के विद्वानों ने विभिन्न सत्रों में हिस्सा लिया. इस मौके पर प्रोफेसर विश्वंभर शुक्ल ने कहा कि हम सजग प्रहरी राष्ट्र के हर चुनौती के लिए तत्पर हैं. साहित्य में सृजन की धारा सदियों से निरंतर बहती चली आ रही है और यह यूं ही चिरकाल तक प्रवाहित होती रहेगी. कार्यक्रम के प्रथम सत्र में विद्वान वक्ताओं शिवमोहन सिंह और रामकृष्ण विनायक सहस्रबुद्धे ने समकालीन साहित्य में रचनाकारों की भूमिका, साहित्य और समाज का संबंध विषय पर विस्तार से चर्चा की.
इस अवसर पर मुक्तक लोक साहित्यांगन के अध्यक्ष वरिष्ठ साहित्यकार प्रोफेसर विश्वंभर शुक्ल की दो कृतियां ‘गुल्लक टूटी आंसू छलके‘, और ‘छुपे दृगों में हजार बादल‘ तथा युगधारा फाउंडेशन द्वारा प्रकाशित साझा संकलन ‘समकालीन सृजन के सशक्त हस्ताक्षर‘ का लोकार्पण किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता डा उमाशंकर शुक्ल ने की. मुख्य अतिथि के रूप में पद्मश्री से सम्मानित विद्या विंदु सिंह उपस्थित थीं. डा प्रेमलता त्रिपाठी ने भी मंच को सुशोभित किया. उपस्थित रचनाकार सम्मानित भी किए गए. वरिष्ठ कवि निडर जौनपुरी की अध्यक्षता में राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में अतिथि रचनाकारों के अतिरिक्त कविता सूद, रोशनी किरण, प्रदीप भट्ट, अशोक पांडेय अशोक, माधुरी मिश्र, किरन तिवारी, रीता सिंह, एचपी गुप्ता, विनोद दुबे, श्रीशचंद्र दीक्षित, पूजा पाण्डे आदि ने कविता पाठ किया. इस अवसर पर गीता अवस्थी, आकाश अवस्थी, सौम्या मिश्रा सहित बड़ी संख्या में संस्थाओं के पदाधिकारी और श्रोता उपस्थित रहे.