टिहरी: राज्य में जनकवि के रूप में ख्यात घनश्याम रतूड़ी सैलानी की 90वीं जयंती पर नगर पंचायत चमियाला स्थित बालेश्वर में इंद्रमणि बडोनी कला एवं साहित्य मंच ने एक कार्यक्रम का आयोजन किया. मंच के अध्यक्ष लोकेंद्र दत्त जोशी, मुख्य अतिथि गोविंद रावत और जनपद के बुद्धिजीवियों ने दीप प्रज्वलित कर कवि सम्मेलन और सम्मान समारोह का शुभारंभ किया. इस अवसर पर कोरोना काल में लाखों लोगों को मदद पहुंचाने वाले डाक्टर गोविंद रावत को भी सम्मानित किया गया. बालगंगा सेवानिवृत्ति संघ के महामंत्री उमेश सिंह चौहान ने कहा कि स्वर्गीय घनश्याम सैलानी की जन्मभूमि और कर्मभूमि बालगंगा घाटी रही है. इस घाटी में उन्होंने तमाम जन आंदोलन चलाएं और लोक गीतों के साथ कविताएं लिखी.
याद रहे कि कवि घनश्याम रतूड़ी का जन्म टिहरी जनपद के दूरस्थ विकासखंड भिलंगना स्थित चरिगाढ़ गांव में हुआ. सिर्फ 15 साल की आयु में ही उन्होंने समाज में जाति पार्टी के विरुद्ध अपना आंदोलन शुरू किया और दलित परिवारों के घर में पूजा-पाठ करने लगे. इसे लेकर लोगों ने उनका खूब विरोध किया. उन्होंने राजा शाही के विरुद्ध भी आंदोलन में भाग लिया. वे चिपको आंदोलन के नेता रहे पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा के साथ भी कंधे से कंधा मिलाकर चिपको आंदोलन, शराब विरोधी आंदोलन सहित उत्तराखंड पृथक राज्य के लिए चले आंदोलन में भी शामिल रहे और समाज सुधार कार्यों में भाग लिया. लोकेंद्र दत्त जोशी और आरबी सिंह ने कहा कि आने वाले समय में क्षेत्र की महान हस्तियों की जयंती के अवसर पर मंच द्वारा तरह तरह के सम्मान समारोह आयोजित किए जाएंगे और उत्कृष्ट कार्य करने वाले लोगों को सम्मानित किया जाएगा.