इंदौर: “राष्ट्रभाषा, व्यवहार भाषा के साथ ही प्रत्येक नागरिक द्वारा मातृभाषा का सम्मान आवश्यक है. इसके लिए खेल के समान सतत साधना करना होगी.” अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेटर नरेंद्र हिरवानी ने यह बात अखिल भारत सिंधी बोली साहित्य सभा के वार्षिक समारोह में कही. स्थानीय अभिनव कला समाज के गांधी हाल परिसर स्थित स्टेट प्रेस क्लब में सिंधू मुहिंजी जीजल संस्था के सहयोग से यह समारोह आयोजित हुआ था. इस अवसर पर सांसद शंकर लालवानी ने कहा कि भाषाओं को लेकर सरकार व समाज को मिलकर काम करना होगा. अकादमियां तो सरकार ने बनाई हैं पर समाज पाठक वर्ग नहीं पैदा कर पाया. जीजल संस्था व कार्यक्रम संयोजक किशोर कोडवानी ने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश की पहचान बाघ प्रिन्ट, राजस्थान की पहचान बुटीक, बंधेज़ कला को समाज से परे कर दिया गया. हस्तकला, हुरमुचो, बादल, नृत्य कला छेज, झुमिर, होजमालो, भगत लुप्त होने के कगार पर पहुंच गई है. इस ओर ध्यान जरूरी है.
समारोह में साहित्य, चित्रकला, मूर्ति शिल्प, संगीत, शास्त्रीय नृत्य के क्षेत्र में अमूल्य योगदान देने वाली सिंधी भाषी विभूतियों को सम्मानित किया गया. साहित्य के लिए प्रो अर्जुन चावला, भाषा संवर्धन के लिए रश्मि रामानी, मूर्ति शिल्प और चित्रकला के लिए महेंद्र कोडवानी, सिंधी सोशल मीडिया के लिए अशोक छाबड़िया, नृत्य कला के लिए प्रेरणा और काव्या नावानी को सम्मानित किया गया. फनकार अवार्ड लवि कमल भगत और अदीब अवार्ड फिल्म और नाटक लेखक मुरलीधर बलवानी को दिया गया. सिंधी लोक कथा गायन शैली ‘भगत’ के कलाकार लवि कमल भगत की प्रस्तुति के साथ ही सिंधी भाषा में हास्य नाटक ‘मोबाइल की मार’ का मंचन भी नमोश तलरेजा और विनीता मोटलानी की टीम ने किया. काव्या और प्रेरणा नावानी ने भरतनाट्यम की प्रस्तुति दी. कार्यक्रम का संचालन युवा शाखा के अध्यक्ष अशोक मनवाणी ने किया. इस अवसर पर सिंधी साहित्य सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष शंभू जयसिंघानी, धीरज नावानी, कैलाश बालानी, हरीश लालवानी और जेठानंद लालवाणी आदि उपस्थित थे. समारोह में सिंधी साहित्य सभा के पदाधिकारी रहे चंदर सावनाणी और शोभा लालचंदानी के अवसान पर शोक व्यक्त किया गया. इस अवसर पर तारा लालवानी, अमर गोपलानी, भोजराज खेमानी ‘क्रांति’ तथा डा जेठो लालवानी की पुस्तकों का विमोचन भी हुआ.