नई दिल्ली: भारतीय परिवारों की चहेती लेखिका मालती जोशी नहीं रहीं. इसी 4 जून को वे 90 वर्ष की होतीं. उनके निधन की सूचना मिलते ही साहित्य जगत में शोक व्याप्त हो गया. अपनी कहानियों से संवेदना का एक अलग संसार बुनने वाली जोशी ने हमारे आसपास के परिवार, उसके पात्र, उनके राग और परिवेश को जीवंत करने वाली कहानियां लिखीं. उनकी कहानियां संवाद शैली में हैं, जिनमें जीवन की मार्मिक संवेदना, दैनिक क्रियाकलाप और वातावरण इस सुघड़ता से चित्रित हुए हैं कि ये कहानियां मन के छोरों से होते हुए चलचित्र सी गुजरती हैं. साठ-सत्तर के दशक में शायद ही कोई ऐसा हिंदी पढ़ने वाला भारतीय परिवार रहा हो, जहां कथाकार मालती जोशी की पुस्तकों की पैठ न रही हो. शिवानी के साथ जोशी की कहानियां हर स्त्री की आवाज और संवेदना को शब्द देती रही हैं. मालती जोशी का जन्म 4 जून, 1934 को हुआ था, और वह काफी कम उम्र से ही लिखने लगीं थीं. आपने अपनी कथाओं में स्त्री, मानवीय रिश्ते, भारतीय परिवार और उनकी आवाज को शब्द दिया. आपकी कहानियों से संवेदना का एक अनूठा संसार बुना, जिसके पटल पर हमारे आसपास के लोग, हमारे परिवार, उनका राग, संवेदना, दैनिक क्रियाकलाप और परिवेश जी उठते रहे. जोशी ने संवाद शैली में जीवन की मार्मिक आख्यानों को भी इस सुघड़ता से चित्रित करती हैं कि मन के छोर और आंखों के कोर दोनों भीगतें हैं.
जोशी की चर्चित कृतियों में कहानी संग्रह- पाषाण युग, मध्यांतर, समर्पण का सुख, मन न हुए दस बीस, मालती जोशी की कहानियां, एक घर हो सपनों का, विश्वास गाथा, आखीरी शर्त, मोरी रंग दी चुनरिया, अंतिम संक्षेप, एक सार्थक दिन, शापित शैशव, महकते रिश्ते, पिया पीर न जानी, बाबुल का घर, औरत एक रात है, मिलियन डालर नोट; बालकथा संग्रह- दादी की घड़ी, जीने की राह, परीक्षा और पुरस्कार, स्नेह के स्वर, सच्चा सिंगार; उपन्यास- पटाक्षेप, सहचारिणी, शोभा यात्रा, राग विराग; व्यंग्य- हार्ले स्ट्रीट; गीत संग्रह- मेरा छोटा सा अपनापन और अन्य पुस्तकों- मालती जोशी की सर्वश्रेष्ठ कहानियां, आनंदी, परख, ये तेरा घर ये मेरा घर, दर्द का रिश्ता, दस प्रतिनिधि कहानियां, अपने आंगन के छींटे, रहिमन धागा प्रेम का, आदि शामिल है. जोशी की खासियत यह भी है कि आप बहुभाषी रचनाकार हैं. हिंदी के अतिरिक्त आपकी ग्यारह से अधिक पुस्तकें मराठी भाषा में भी प्रकाशित हो चुकी हैं. आपकी रचनाओं के अनुवाद उर्दू, बांग्ला, तमिल, तेलुगू, पंजाबी, मलयालम, मराठी, कन्नड़ जैसी समृद्ध भारतीय भाषाओं के साथ अंग्रेजी, रूसी तथा जापानी भाषाओं में भी हो चुके हैं. आपकी कुछ कहानियां गुलजार के ‘किरदार’ तथा जया बच्चन के ‘सात फेरे’ नामक धारावाहिक का भी हिस्सा रही हैं. साहित्य तथा शिक्षा के क्षेत्र में अपने योगदान के लिए जोशी को पद्मश्री से सम्मानित किया गया था.