नई दिल्ली: “गीता उन्नति, आध्यात्मिकता, धार्मिकता, अपने कर्तव्य की प्रतिबद्धता और स्वयं से खुद को अलग करने का मार्ग दिखाती है.” यह बात भगवद् गीता पर डा सुभाष कश्यप की कमेंट्री के विमोचन के अवसर पर संसद भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कही. धनखड़ ने देश के नागरिकों से भगवद् गीता की शाश्वत शिक्षाओं से मार्गदर्शन प्राप्त करते हुए देश के हितों को सर्वोपरि रखने का आग्रह किया. अनिश्चितता के बीच एक मार्गदर्शक प्रकाश के रूप में गीता के कालातीत ज्ञान को रेखांकित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि गीता से प्रेरणा लेते हुए संविधान की मूल प्रति में 22 लघुचित्रों या मिनी चित्र संस्थापित हैं. धनखड़ ने संविधान के भाग 4 के तहत राज्य के नीति-निर्देशक सिद्धांतों पर ध्यान केंद्रित करते हुए भगवद् गीता की शिक्षाओं की गहन तुलना की, जहां भगवान कृष्ण कुरुक्षेत्र के युद्ध के मैदान में अर्जुन को ज्ञान प्रदान करते हैं.
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने भारतीय संसदीय लोकतंत्र में डा कश्यप के व्यापक अनुभव पर प्रकाश डालते हुए कहा कि डा कश्यप ने गठबंधन सरकारों की दुर्दशा देखी है, जिससे 2014 में राहत प्राप्त हुई. उन्होंने आगे कहा कि गठबंधन सरकार के अंत के बाद देश ने डा सुभाष कश्यप को पद्म भूषण से सम्मानित किया. डा कश्यप की संवैधानिक नैतिकता, योग्यता, उच्च नैतिक मूल्यों की प्रशंसा करते हुए धनखड़ ने कहा कि उन्होंने कभी भी राजनीतिक चश्मे से मुद्दों को नहीं देखा, बल्कि अपने विचारों को दृढ़ विश्वास और ईमानदारी के साथ रखा. उस समय को याद करते हुए जब आईएमएफ, विश्व बैंक जैसे वैश्विक निकाय राष्ट्रीय मामलों के संबंध में भारत पर दबाव डालते थे, धनखड़ ने बदलते वैश्विक आर्थिक परिदृश्य की ओर ध्यानाकर्षित किया, जहां भारत फ्रांस, ब्रिटेन, कनाडा, ब्राजील जैसी अर्थव्यवस्थाओं को पीछे छोड़ते हुए 5वीं सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था बन चुका है. कश्मीर के पर्यटन क्षेत्र में हुए परिवर्तनकारी बदलाव पर प्रकाश डालते हुए धनखड़ ने कश्मीर की सुंदर घाटी में पर्यटकों की उल्लेखनीय वृद्धि पर प्रकाश डाला, जो पिछले रुझानों में हुई एक महत्त्वपूर्ण बढ़ोत्तरी को चिह्नित करता है.