नई दिल्ली: एंकर और पत्रकार अशोक श्रीवास्तव की पुस्तक ‘मोदी वर्सेज खान मार्केट गैंग‘ का राजधानी के अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर के नालंदा सभागार में विमोचन हुआ. इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष राम बहादुर राय ने समारोह की अध्यक्षता की. राज्यसभा सदस्य सुधांशु त्रिवेदी मुख्य वक्ता और चर्चित नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित हुए. अशोक श्रीवास्तव ने कहा कि उन्हें यह देखकर बहुत आक्रोश आता है कि बौद्धिक जगत में प्रभावी एक वर्ग इस देश में हुए हर अच्छे कार्य को नकार कर, पूरी तरह से आजादी में रहते हुए भी यह कहता है कि यहां तानाशाही चल रही है. मैंने इस पुस्तक में ऐसे सभी प्रसंगों और उसमें शामिल हुए लोगों का उल्लेख करते हुए उदाहरण सहित यह साबित करने का प्रयास किया है कि इस देश में एक गैंग सक्रिय है, जो गलत अवधारणा फैलाने में लगा है. रामबहादुर राय ने कहा कि लेखक इस पुस्तक को 6 माह पहले प्रकाशित न कर पाने का अफसोस कर रहे हैं जबकि यह पुस्तक ठीक उस अगले दिन लोकार्पित हो रही है, जब खान मार्केट गैंग का सरगना जमानत पर बाहर आया है. उनका इशारा जमानत पर बाहर आए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की ओर था. उन्होंने कहा कि देश में देश के ही खिलाफ माहौल बनाने वाले गैंग के झंडाबरदार और कौन-कौन हैं, यह इस पुस्तक में साफ़ होता है.
आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा कि पुस्तक का शीर्षक ही बताता है कि लेखक बहुत साहसी है. उन्होंने बहुत साफगोई से कहा कि मुझमें भी यह साहस है कि मैं कह सकूं कि कुछ समय पूर्व तक मैं भी इसी खान मार्केट गैंग का सदस्य हुआ करता था, लेकिन वहां भी मैं कहता रहता था कि राष्ट्रीय हित के मुद्दों पर कोई विरोध नहीं करना चाहिए, राजनीति नहीं करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह, संसद भवन के उद्घाटन समारोह में न जाना, अनुच्छेद 370 हटाने का विरोध करना जैसे कई मुद्दे थे, जब मैंने कांग्रेस नेतृत्व से आग्रह किया था कि हमें ऐसा नहीं करना चाहिए. हमें भाजपा का विरोध करते-करते भारत के विरोध तक नहीं जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि जो लोग तानाशाही की बात करते हैं, उन्हें समझना होगा कि अगर ऐसा होता तो वे 10 साल से बिना मुंह धोये पूरे देश में मोदी को गाली देते नहीं घूम सकते थे. सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि आज भी एक गांधारी अपने दुर्योधन को राज सिंहासन दिलाने के लिए व्याकुल है. उन्होंने कहा कि यह खान मार्केट गैंग बहुत पहले से अपनी सहूलियत के हिसाब से देश में फेक नैरेटिव बनाने और फैलाने में लगा रहता था. यह पिछले 25 सालों में और हमलावर होता गया. पहले अटल जी की सरकार और फिर 2001 में गुजरात से नरेन्द्र मोदी के उदय से राष्ट्रीय विचारधारा के प्रति झूठ गढ़ने और फैलाने के कामों में तेजी आई. उन्होंने कहा कि यह निर्णायक लड़ाई है. सज्जन शक्ति को चाहिए कि वह लोकतंत्र के इस पावन पर्व में बढ़चढ़कर हिस्सा ले, औरों को भी मतदान के लिए प्रेरित करे ताकि खान मार्केट गैंग को नेस्तनाबूद किया जा सके.