नई दिल्ली: “भारत में भोजपुरी के लिए संघर्ष जारी है. मारीशस सरकार भोजपुरी को मान्यता देकर ‘अंतर्राष्ट्रीय भोजपुरी महोत्सव‘ करा रही है. एक ऐसा महोत्सव जिसका उद्घाटन मारीशस के प्रधानमंत्री और समापन राष्ट्रपति ने किया. यह साधारण बात नहीं है. यह एक संदेश है, यह एक अनुष्ठान है, यह एक आंदोलन है.” यह बात तीन दिन, 17 सत्र और सरकार द्वारा पूरे विश्व से आमंत्रित डेलीगेट्स के बीच रिसोर्स पर्सन और पैनलिस्ट के रूप में शामिल रहे साहित्यकार व भोजपुरी जंक्शन पत्रिका के संपादक मनोज भावुक ने कही. भावुक ने भोजपुरी सिनेमा के भूत, भविष्य व वर्तमान पर अपनी बात रखी और इसी विषय पर अपनी बनाई डाक्यूमेंट्री भी दिखाई. उन्होंने बताया कि मारीशस सरकार के कला और संस्कृति विरासत मंत्रालय के तत्वावधान में अंतर्राष्ट्रीय भोजपुरी महोत्सव का आयोजन एक पांच सितारा होटल में किया गया था, जिसमें विश्व के अनेक देशों के प्रतिनिधियों के साथ भावुक भी आमंत्रित थे.
इस महोत्सव का उद्घाटन मारीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद कुमार जगन्नाथ और समापन राष्ट्रपति पृथ्वीराज सिंह रूपन ने किया. स्वागत भोजपुरी स्पीकिंग यूनियन की चेयरपर्सन डा सरिता बुधू ने किया. कला और संस्कृति विरासत के मंत्री अविनाश तिलक ने कहा कि यह महोत्सव हमारे पूर्वजों को श्रद्धांजलि है. प्रधानमंत्री प्रविंद कुमार जगन्नाथ ने 2019 में बनारस में हुए प्रवासी सम्मेलन में कहा था कि हम मारीशस में भोजपुरी महोत्सव करेंगे. कोविड की वजह से यह टलता रहा और अब 2024 में यह आयोजन हो पाया. पहली बार किसी देश की सरकार ने भोजपुरी महोत्सव का आयोजन किया. इसी आयोजन के लिए भोजपुरी जंक्शन का ‘गिरमिटिया विशेषांक‘ निकाला गया. वहां एक पुस्तक प्रदर्शनी में भारत-मारीशस के लेखकों की भोजपुरी पुस्तकें रखी थीं. महोत्सव में अनेक प्रस्तावों के बीच विश्व भोजपुरी दिवस मनाने की बात भी हुई और अगला भोजपुरी महोत्सव गोरखपुर व बनारस में करने की घोषणा हुई. यह तय हुआ कि महोत्सव का सिलसिला गिरमिटिया देशों में चलते रहना चाहिए ताकि साहित्यिक व सांस्कृतिक विनिमय होता रहे. सभी डेलीगेट्स को अप्रवासी घाट, गंगा तालाब, रामायण सेंटर, समुद्री तट और अनेक रमणीय स्थलों का दर्शन भी कराया गया.