अलीगढ़: अलीगढ़ में उर्दू को लेकर दो बड़े आयोजन हुए, जिसमें उर्दू साहित्य में महिलाओं की स्थिति के साथ ही साहित्य, समाज और व्यक्तित्व पर उसके प्रभाव संबंधी बौद्धिक विमर्श हुए. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग ने ‘उर्दू साहित्य में महिलाएं‘ विषय पर दो दिवसीय शैक्षणिक चर्चा का आयोजन किया. इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो सिराजुद्दीन अजमली थे. उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि भारतीय साहित्य में महिला लेखकों ने महिलाओं की स्थिति व समस्याओं को बड़े ही जोरदार ढंग से उठाया है. उर्दू साहित्य में भी यह क्रम बरकरार रहा है. विभागाध्यक्ष प्रो कमरुल हुदा फरीदी ने प्रमुख लेखकों व विद्वानों द्वारा उर्दू साहित्य में चित्रित महिला मुद्दों के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि डिप्टी नजीर अहमद के अग्रणी कार्यों में सबसे पहले लड़कियों की शिक्षा, उनके अधिकारों और कर्तव्यों और न्यायपूर्ण समाज के निर्माता के रूप में महिलाओं की भूमिका के बारे में बात की गई थी. कार्यक्रम का संचालन डा आफताब आलम नजमी व धन्यवाद ज्ञापन डा सरफराज अनवर ने किया. इसी तरह ‘मुआशरे की तामीर में ख्वातीन क़लमकारों का हिस्सा‘ विषय पर मुख्य अतिथि अंग्रेजी विभाग की प्रोफेसर विभा शर्मा ने युवा संकाय सदस्यों, महिला शिक्षकों और छात्रों से आगे आने और लैंगिक अंतर को पाटने और अपनी रुचि की भाषा में लिखने का आग्रह किया. उन्होंने क़ुर्रतुल ऐन हैदर और इस्मत चुगताई के लेखन की सराहना की, जो उर्दू साहित्य के ज्ञानवर्धक अंशों के साथ सामने आती हैं.
उधर जामिया उर्दू में ‘साहित्य, समाज और व्यक्तित्व‘ विषय पर सेमिनार हुआ. साथ ही शोध पत्र पढ़ने वाले व प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान किए गए. ओएसडी फरहत अली खान ने कहा कि जामिया उर्दू की कोशिश है कि उर्दू भाषा को रोजगार से जोड़ा जाए, ताकि समाज में सकारात्मक बदलाव हो. जामिया उर्दू के निदेशक डा जसीम मोहम्मद ने कहा कि जामिया उर्दू केवल शिक्षा का प्रचार प्रसार ही नहीं कर रहा है, युवाओं व छात्रों के संपूर्ण विकास के लिए भी है. एएमयू के पूर्व डीन प्रो शेख मस्तान ने कहा कि जामिया उर्दू लगातार उर्दू भाषा व साहित्य की सेवा कर रहा है. एएमयू के उर्दू विभाग के अध्यक्ष प्रो तारिक अहमद छतारी ने कहा कि उर्दू केवल एक नहीं, संस्कृति है. हैदराबाद की आरजे हिरा आफताब ने कहा कि साहित्य से ही महिलाओं की सामाजिक स्थिति में बदलाव हुआ है. एएमयू उर्दू एकेडमी के निदेशक डा जुबैर शादाब, जामिया उर्दू के रजिस्ट्रार शामून रजा नकवी, मुसाईद किदवई, डा फुरकान संभली, डा आफताब आलम, कंट्रोलर रिजवान अली खान ने विचार व्यक्त किए.