नई दिल्ली: भारतीय सेना के आयोजन में साहित्यकारों, लेखकों की उपस्थिति नहीं होती है, पर यह आयोजन देश के अग्रणी सैन्य विचारकों में से एक जनरल के सुंदरजी की विरासत का उत्सव मनाने के लिए आयोजित हुआ था, इसलिए इसमें तीनों सेनाओं के सेवारत और सेवानिवृत्त अधिकारियों के साथ-साथ साहित्यकारों और विभिन्न विशेषज्ञों ने भाग लिया. राजधानी के मानेकशा सेंटर में चौथे जनरल सुंदरजी स्मृति व्याख्यान का आयोजन मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री सेंटर एंड स्कूल और सेंटर फार लैंड वारफेयर स्टडीज ने मिलकर किया था. वक्ताओं ने अपने व्याख्यान में देश के 13वें सेनाध्यक्ष जनरल के सुंदरजी के उत्साही और दूरदर्शी व्यक्तित्व को याद किया. उन्हें प्यार से ‘मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री रेजिमेंट का जनक‘ भी कहा जाता है. थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे ने मुख्य वक्तव्य दिया और जनरल सुंदरजी की दूरदर्शिता को याद किया. उन्होंने युद्धक्षेत्र के डिजिटलीकरण, सूचना संबंधी युद्धकला, प्रौद्योगिकी प्रसार, पारंपरिक रणनीतियों और बल संरचना के क्षेत्र में जनरल सुंदरजी के दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला, जो उनके ‘विज़न 2100′ में परिलक्षित होता है.
जनरल पांडे ने जनरल सुंदरजी के विचारों को रेखांकित करते हुए कहा कि भारतीय सेना परिवर्तन की अनिवार्यता के प्रति सजग है, और यह एक प्रगतिशील दृष्टिकोण के साथ है. हमारा इरादा न केवल बदलाव का है, बल्कि तीव्रता से बदलाव का भी है. भारतीय सेना का समग्र परिवर्तन, जिसे हमने दो साल पहले शुरू किया था, एक आधुनिक, चुस्त, अनुकूली, प्रौद्योगिकी से लैस, आत्मनिर्भर और भविष्य के लिए तैयार, बल को आकार देने के हमारे प्रयासों का हिस्सा है. प्रख्यात वक्ताओं में जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल एनएन वोहरा ने जनरल सुंदरजी के साथ अपने अनुभव साझा किए और ‘राष्ट्रीय सुरक्षा नीति की आवश्यकता‘ पर भी अपने विचार व्यक्त किए. लेफ्टिनेंट जनरल सुब्रत साहा (सेवानिवृत्त), पूर्व उप सेना प्रमुख और सदस्य राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड ने ‘भारत के सशस्त्र बलों का आधुनिकीकरण: जनरल के सुंदरजी से सबक‘ विषय पर व्याख्यान दिया. इस दौरान एक प्रश्नोत्तर सत्र भी हुआ, जिसमें लेखकों, साहित्यकारों ने भी सेना से संबंधित सवाल किए.