पटना: स्थानीय रवीन्द्र भवन में साहित्य और संगीत की एक ऐसी शाम सजी, जो लंबे समय तक बिहारवासियों को याद रहेगी. बिहार की मिट्टी हमेशा अपने श्रम और प्रतिभा के लिए मशहूर रही है और इसी का उत्सव मनाने के लिए यहां उपस्थित हुए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मशहूर सरनामी गायक राज मोहन, साहित्यकार और भोजपुरी सिनेमा के इतिहासकार मनोज भावुक और कला समीक्षक डा कुमार विमलेन्दु सिंह. मनोज भावुक और विमलेन्दु ने बिहार के रंगमंच, साहित्य और सिनेमा पर बातचीत की. मनोज भावुक ने गिरमिटिया प्रवास की दर्द भरी दास्तां सुनाते हुए कहा कि ”सियाह रात के सोनहला भोर होला आ गिरमिटिया… इस बात का सबसे अच्छा उदाहरण है कि यहां से सदियों पहले मजदूर बन के गये लोग आज मालिक बन गये हैं.”
भोजपुरी में अपनी बात रखते हुए उन्होंने कहा कि गिरमिटिया बन के गये लोगों की आज वहां सरकार बन गयी है. अपनी मेहनत, लगन और श्रम से उन्नयन का इससे बेहतर उदाहरण क्या होगा. विमलेन्दु और मनोज भावुक ने गिरमिटिया मजदूरों के जीवन, उनका इतिहास और उनके वर्तमान पर भी बात की. वक्ताओं ने भोजपुरी सिनेमा और साहित्य पर बात की और कहा कि इसकी सांस्कृतिक समृद्धि लोक में है, न कि अश्लीलता में. वक्ताओं ने भोजपुरी के भविष्य पर भी अपने विशद विचार रखे. इस अवसर पर मनोज भावुक ने अपनी मशहूर भोजपुरी ग़ज़लें भी सुनाईं. इसके बाद नीदरलैंड्स से आए मशहूर गायक राज मोहन ने सुंदर गीतों से माहौल बना दिया. उनके गाए गीत ‘सात समुंदर पार कराईके …’ से लोगों की आंखें नम हो गईं. अतिथियों का स्वागत और धन्यवाद ज्ञापन हाउस आफ वेरायटी के संस्थापक सुमन सिन्हा ने किया.