बाराबंकी: यह पुस्तक लोकार्पण और परिचर्चा की एक अनूठी शाम थी. इस कार्यक्रम में कई पुस्तकों का लोकार्पण हुआ और अतिथि वक्ताओं ने उस पर अपनी राय रखी. सबसे पहले अवध भारती प्रकाशन द्वारा प्रकाशित अवधी गजलों के सामूहिक संकलन ‘पचांगुर‘ का लोकार्पण हुआ. इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में बीएनबीके डिग्री कालेज अकबरपुर अंबेडकर नगर के हिंदी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर सत्य प्रकाश त्रिपाठी उपस्थित थे. अध्यक्षता डा श्याम सुंदर दीक्षित थे, तो विशिष्ट अतिथि डा विनयदास और संयोजक डा राम बहादुर मिश्र उपस्थित थे. इस अवसर पर कवि प्रदीप महाजन कृत अवधी ‘बारहमासा‘ और ‘काव्य निषंग‘ तथा कवि अजय प्रधान कृत ‘सुपर्णखा-उवाच‘ का लोकार्पण भी हुआ. ‘पंचागुर‘ दिनेश उन्नावी, डा अशोक अज्ञानी, अजय प्रधान, प्रदीप महाजन, राज कुमार सोनी जैसे पांच कवियों की गजलों का संग्रह है.
मुख्य अतिथि प्रो त्रिपाठी में कहा कि लोकहित की कामना से संपृक्त साहित्य ही असली साहित्य है. जिसमें अवधी साहित्य अपने आप में अनूठा है. पचांगुर की सभी गजलें माटी से जुड़ी हुई हैं. प्रो त्रिपाठी ने प्रदीप महाजन कृत अवधी बारहमासा पर कहा कि वर्ष पर्यंत बदलते मौसम का प्रकृति और मनोदशा पर पड़ने वाले प्रभाव का बहुत सुंदर वर्णन किया गया है. लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता करते हुए डा श्याम सुंदर दीक्षित ने कहा कि काव्य रचनाओं के साथ अवधी का गद्य साहित्य कहानियां और यात्रा वृतांत अवधी को समृद्ध बना रहे हैं, तो डा विनयदास ने कहा कि अवधी का साहित्य हिंदी के सामानांतर रचा जा रहा है. खड़ी बोली की तरह समस्त विधाओं में साहित्य सृजन ने अवधी को ऊंचाई प्रदान की है. साहित्यकार प्रदीप सारंग के संचालन में संपन्न समारोह में डा अम्बरीष अम्बर, सतीश श्याम, डा कुमार पुष्पेंद्र, नागेन्द्र प्रताप सिंह, अंकिता शुक्ला, लता श्रीवास्तव, किरण भारद्वाज, शिव कुमार व्यास, विनय शुक्ला, ओपी वर्मा ओम सहित साहित्यप्रेमी भी उपस्थित रहे.