बीकानेर: “डा रेणुका व्यास के रचनाकर्म में समाज, साहित्य और संस्कार मौजूद है, एक अलग प्रकार की छटपटाहट है. आपकी रचनाएं साधारण नहीं हैं, बल्कि ये अपना मुहावरा खुद बनाती हैं.” यह बात मुक्ति संस्था बीकानेर के तत्वावधान में डा रेणुका व्यास ‘नीलम‘ की पांच पुस्तकों के लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता करते हुए महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर मनोज दीक्षित ने कही. आचार्य दीक्षित ने कहा कि डा व्यास ने साहित्य की विभिन्न विधाओं में साहित्य रचा है. इन्होंने सामाजिक विद्रूपताओं के विरूद्ध अपनी कलम चलाई है. राजस्थानी साहित्य की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि किसी भी दौर में मातृभाषा के प्रति अनुराग कम नहीं हुआ है, राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से मातृभाषा को प्रोत्साहन मिलेगा. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय स्तर पर भी राजस्थानी-हिंदी विभाग से जुड़े सकारात्मक निर्णय जल्दी लिए जाएंगे. मुख्य अतिथि उमाकांत गुप्त ने कहा कि रेणुका व्यास ‘नीलम‘ की रचनाएं जीवन को सराहना, संवारना और सहारा देना चाहती हैं. उसकी कविताएं जीवन की जटिलता के विरुद्ध संवेदनात्मक जिहाद हैं. वे प्रेम और करुणा को जीवन का केंद्रीय तत्त्व सिद्ध करते हुए नारी अस्मिता के सही संदर्भों को रूपायित करती हैं. वे अपनी कविताओं में आने वाले समय के सच को गाती हैं. सामाजिक सरोकार सामासिक संस्कार और व्यापक दीठ को समाहित कर राजस्थानी व हिंदी में अनुवाद एवं कविता करती हैं.
समारोह के विशिष्ट अतिथि कवि-कथाकार राजेन्द्र जोशी ने कहा कि कवि के लिए कविता एक चुनौती है. उन्होंने कहा कि कविता बंदूक से बेहतर हथियार है. उन्होंने कहा कि रेणुका अपनी रचनाओं में जीवन से जुड़े सवाल करती हैं. इनके संग्रह की कविताओं में प्रेम रस झरने की तरह बहता है. वह युद्ध में भी प्रेम तलाशती बेचैन होती हैं और शांति के प्रतीक कबूतर से आह्वान करती है. जोशी ने कहा कि प्रेम स्वर के बगैर समाज में असंतुलन का खतरा मंडराने लग सकता है. डा रेणुका व्यास ‘नीलम‘ ने अपनी रचना प्रक्रिया साझा करते हुए हिंदी-राजस्थानी की चुनिंदा कविताओं में ‘अेन सूरज रै सांम्ही‘ पुस्तक की जीवण, मून री मेड़ी, थारी संगत रो स्वाद, हरियल घूघरा, भरोसे रो नांव एवं हिंदी कविता-संग्रह सुनो तथागत से तेरी आंखों में, जब भी, हर बार, मेरी मानो तो, कटता है हरा पेड़ का सस्वर पाठ कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. समारोह को हरीश बी शर्मा, सूर्य प्रकाशन मंदिर के निदेशक डा प्रशांत बिस्सा एवं युवा चिकित्सक डा दिव्यांशी व्यास ने भी संबोधित किया. संचालन ज्योति प्रकाश रंगा ने तो धन्यवाद डा अजय जोशी एवं शिवशंकर व्यास ने प्रकट किया. कार्यक्रम का आयोजन धरणीधर रंगमंच पर किया गया था. लोकार्पित कृतियों में कविता-संग्रह ‘सुनो तथागत, ‘अेन सूरज रै सांम्ही‘; राजस्थानी में अनूदित बाल कथा संग्रह ‘मीता अर उण रा जादू रा जूता‘ एवं ‘आनंदी रो इन्द्रधनुख‘ एवं डा उमाशंकर व्यास एवं डा रेणुका व्यास की संयुक्त पुस्तक ‘हिंदी साहित्य का इतिहास और राजस्थान के लेखक‘ शामिल थी.